भारत मे डेढ़ करोड़ वेश्याएं हैं। यह संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक है। हमारे देश मे गंगा (नदी) माता है, गाय (पशु) माता है, धरती (जमीन) माता है मगर औरत (इंसान) वेश्या है। और वेश्या भी एक-दो हजार नही पूरे डेढ़ करोड़।
शांति से पार्कों में बैठे प्रेमी जोड़ों पर लाठी-डंडों के जरिये जबरन संस्कृति सिखाने वाले संघ के दलालों को कोठों पर भी जाना चाहिए ताकि अपने हाथों से तैयार की गई "वेश्या संस्कृति" का बदसूरत चेहरा देख सकें।
भारत माता है अथवा पिता है, इस बेहुदा बहस के बीच ये सवाल भी पूरे जोर से उठना चाहिए कि भारत माता हो या पिता मगर उसकी डेढ़ करोड़ संतानें वेश्या क्यों हैं ?