1882 तक अंग्रेजों ने देश में 67 कॉलेज और 4 यूनिवर्सिटी बना चुके थे, तब इन 4 यूनिवर्सिटी में 600 विद्यार्थी पढ़ते थे सबके सब ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य !
ब्राह्मणों ने अंग्रेज़ों से और शिक्षा संस्थान बनाने की मांग की, जरुरत पढ़ी तो बनियें धन भी देने को तैयार थे !
धन दिया भी, अंग्रेज़ो ने जो भी बढे छोटे शिक्षा संस्थान बनाए उसमे ब्राह्मण बनिया व्यापारियों ने खूब धन लगाया !
ब्राह्मण बनिया ने अपने धन से भी शिक्षा संस्थान खोले, जैसे बनारस में BHU !
ब्राह्मण अपने बच्चों को अंग्रेज़ो के मुकाबले शिक्षित करना था, उन्हें क्या पता था उनके चंदे के जोड़ से बने शिक्षा संस्थानों में शूद्र भी पढ़ने लगेंगे !
शूद्र भी स्कूल कॉलेज और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश पाकर पढ़ने लगे !
ब्राह्मण बनियों की छाती पर सांप लेटने लगा !
ब्राह्मण बनिया व्यापारियों ने शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक काम बंद कर दिया !
1947 में आज़ादी के बाद नेहरू ने बनियों से बिनती करी शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक कार्य करे योगदान दें, बनियों ने कहा हम नही चाहते हमारे पैसों से शूद्र वर्ग शिक्षित बने !
पीएम जवाहरलाल नेहरू ने कहा अभी भी ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य समाज पूरी तरह शिक्षित नही है, ब्राह्मणों की राय पर नेहरू ने शिक्षा का जिम्मा सरकार के पास रखा और यूजीसी बनाकर कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को सरकारी मदत का प्रावधान बनाया !
1960 के बाद बनियों ने तेज़ी से प्राइवेट स्कूल और कॉलेज बनाने की शुरवात की !
अमीर ब्राह्मण क्षत्रीय वैश्य के बच्चे प्राइवेट में पढ़ने लगे और इसी वर्ग के गरीब बच्चे यूजीसी ग्रांट से चलने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षित होने लगे !
2004 के बाद आरएसएस को लगने लगा अब 80% ब्राह्मण जरुरत से ज्यादा अमीर हो गया है और ओबीसी एससी एसटी माइनॉरिटी भी दिन पे दिन अधिक शिक्षित हो रहे हैं, इसलिए अब सरकारी पैसे से चलने वाले शिक्षा संस्थानों का ग्रांट बंद किया जाए !
आरएसएस और ब्राह्मणों का आंतरिक मत !
80% ब्राह्मण अधिक पैसा चूका कर उच्च शिक्षा प्राप्त कर लेंगे, 20% ब्राह्मणों को थोड़ा कम अमीर रहना चाहिए नही तो पंडित पुरोहित पूजा पाठ हवन कौन करेगा ?
रही बात शूद्रों की तो इन्हें पढ़ने की क्या जरुरत है, वैसे भी यूजीसी ग्रांट खत्म होने से अब शूद्र उच्च शिक्षा नही पा सकते !
बिलकुल ठीक पढ़ा आप लोगो ने, प्रधान सेवक तेली नरेंद्र मोदी जी ने ब्राह्मण शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा देश के 60 से अधिक शिक्षा संस्थानों की सरकारी मदत समाप्त कर इन्हें यूजीसी के बंधन से आज़ाद कर स्वायत्तता प्रदान कर दी !
अब उच्च शिक्षा संस्थान स्वायत्तता पाकर आज़ाद हैं, खुद फीस तय करेंगे, अपना निजी सिलेबस तैयार कर सकते है, जो मर्ज़ी अपने अनुसार हर कार्य करने के लिए स्वतंत्र हैं !
अब फीस बढ़ेगी, बढ़ी फीस के बल पर पूरा कार्य करना होगा, शिक्षकों को सैलरी और अन्य खर्चे फीस के बलपर पूरा करना होगा, नही कर पाए तो कॉर्पोरेट घरानों से गठबंधन करने के लिए भी सरकार ने विशेष नियम बनाया है !
जैसे JNU BHU AMU अगर फीस बढ़ाकर भी अपना खर्च नही चला सकते तो अंबानी अडानी टाटा बिरला से पार्टनरशिप करके अपना खर्च पूरा करें !
मतलब शिक्षा संस्थानों पर बनियों का कंट्रोल !
मोदी ने पूरा बंदोबस किया है,
अब ओबीसी एससी एसटी माइनॉरिटी उच्च शिक्षा नही पा सकते !
दरअसल इन शिक्षा संस्थानों का स्वायत्तता के नाम पर पिछले दरवाजे से निजीकरण किया गया !