अगर आप ओबीसी समुदाय से है और देश के संविधान को नहीं जानते, आप के संवैधानिक अधिकारों को नहीं जानते तो यकीन मानिए कि आप अपने परिवार आप के समुदाय और देश के उत्थान में सहयोगी नहीं बन सकते.
आप ऐसे गलत नेता, गलत पक्ष, गलत संगठन के अनुयायी बन जायेंगे, जो आप के परिवार, आप के समुदाय की समाधि का खड्डा आप के हाथ से खुदवाएंगे और और आप को पता भी नहीं चलेगा और आप उन का गौरव भी करते रहेंगे.
ओबीसी समुदाय की वास्तविकता:
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1. 2011 की जनगणना के अनुसार देश की 125 करोड़ आबादी थी, जो आज 2019 में 135 करोड़ को पार कर गई होगी. जिस में 70 करोड़ से ज्यादा यानि 54% से ज्यादा ओबीसी समुदाय है.
2. देश में हुए डीएनए परिक्षण के अनुसार ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय के डीएनए में समानता पाई गई है. उन के पूर्वज एक है और प्राचीन समय से 8वीं सदी तक शादी - विवाह के रिश्ते से जुड़े हुए थे.
3. देश में जब संविधान बना तब 300 से ज्यादा सदस्यों में 6 ओबीसी सदस्य थे. देश के जनैउधारी द्विज समुदाय और बिन जनैउधारी अद्विज समुदाय को वर्ण, जाति, धर्म, संप्रदाय और लिंग के भेदभाव के बिना समान अधिकार दिए है.
4. बिन जनैउधारी समुदाय में से सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े समुदाय के लिए कलम 15(4), 16(4) और 340 के अनुसार आबादी के अनुपात में आरक्षण व्यवस्था के लिए प्रावधान किया गया है.
5. संविधान की कलम 340 के अनुसार देश के ओबीसी समुदाय के लिए 1953 में 'काका कालेलकर बेकवर्ड कमीशन' की रचना हुई और कमीशन ने अपनी सिफारिसो के साथ रिपोर्ट 1955 में नेहरु सरकार को सुप्रत किया. जिस को नेहरु सरकार ने लागु नहीं किया गया.
6. 1978 में मोरारजी देसाई सरकार ने देश के ओबीसी समुदाय के लिए 'बीपी मंडल बेकवर्ड कमीशन' नियुक्त किया. कमीशन ने अपनी सिफारिसो के साथ 31 दिसम्बर 1980 को अपना रिपोर्ट इंदिरा गांधी सरकार को सुप्रत किया. जिसे 1989 तक लागु नहीं किया गया. तस्वीर - 2.
ओबीसी समुदाय के पढे लिखे अपने अधिकारों से बेखबर:
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1. 1955 में जब कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट सरकार को सोंपी तब ओबीसी के प्रत्येक 1000 पढे लिखे में से 1 को भी कालेलकर कमीशन की ओबीसी के लिए कि गई सिफारिसो के बारे में पता नहीं था.
2. 31 दिसम्बर 1980 में जब मंडल कमीशन की रिपोर्ट सरकार को दी तब ओबीसी समुदाय के प्रत्येक 500 पढे लिखे में से 1 को भी मंडल कमीशन की ओबीसी के लिए कि गई सिफारिसो के बारे में पता नहीं था.