Kamaljeet Jaswal's Album: Wall Photos

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घर में हो रहे शोषण पर शर्मिंदा नहीं होते
घर में हो रहे शोषण पर वे चुप बैठते और बिठाते हैं।

लेकिन

घर में इस बात पर हंगामा ज़रूर हो जाता है
जब पता चलता है कि इश्क/ शादी जात से बाहर है

मारकाट होती है।

घर, घर नहीं चील घर बन जाता है जहां जाति की पवित्रता सर काट के निभाई जाती है वहीं पर घर के शोषण को संस्कार और इज्जत का नाम देकर महिला को खामोश किया जाता है।

कहते हैं कि एक पुरुषवादी समाज को एक औरत का संस्कारी होना तबतक ही पसन्द आता है जबतक कि वह मुहं ने खोल दे। यदि वह अपनी पीड़ाओं और वेदनाओं का बखान करने लगे तो उसे तुरंत चरित्रहीन बनाया जाता है।

कितना आसान शब्द है महिला को चरित्रहीन बताकर उसकी आवाज को हमेशा के लिए खामोश कर देना। ये पुरुष के अहंकार की जीत है। इसे ही वह संस्कार और सभ्यता समझता है।

मेरी एक परिचित है, उनकी फेसबुक वाल देखी कि किसी ने उनपर असभ्य टिपण्णी की है। लड़की बड़ी हिम्मत वाली थी उस लड़के की इस टिपण्णी को सार्वजिक किया फिर क्या था। जिस क्षेत्र में औरतों की शान के बड़े बड़े कसीदे पढें जाते हैं वहां के सभ्य भद्रजन यह कहते हुए पाए गए कि लड़की हाथ से निकल गई।

या तो गैर धर्म के चुंगल में है या फिर ये चरित्रहीन है। किसी ने कहा कि इस लड़की समझाना होगा ऐसे क्षेत्र को बदनाम न करे तो किसी ने कहा कि क्या हो गया जो यदि किसी बच्चे ने आप को रेप की धमकी दी, हो जाती है गलती इसमें इतना बखेड़ा करने की क्या बात? बस मुट्ठीभर लोग ही लड़की को संवेदना देने लगे।

अफसोस इस बात का था कि एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जो यह कहे कि आखिर वह लड़का कौन है? इसे ढूंढो और इसको पहले कानूनन सबक सिखाओ या फिर महिला का सम्मान क्या होता है यह बताओ। इसको लड़की से माफी मांगनी चाहिए।

किसी ने यह नहीं कहा कि लड़की को जो लोग समझाने और सुधारने की बात कर रहे हैं वह गलत है जबकि यह उसको हौसला देने की बात है, उसकी हिम्मत को सलाम करने की जरुरत है कि पहली लड़की है जिसने गलत को सुनने की बजाय गलत का विरोध करने की हिम्मत की।

इत्तेफाक सिर्फ इतना है कि लड़का और लड़की एक क्षेत्र और एक समाज के हैं यदि लड़का दूसरे धर्म या सम्प्रदाय का होता तो इन्ही लोगों के संस्कार ऐसे भी रहे हैं कि ये कानून हाथ मे लेकर अबतक लड़के का नामो निशान मिटा चुके होते। शिक्षा, संस्कार और सोच का फर्क यहीं से पता चलता है।

फिलहाल लड़की के बुलंद हौसलों को सलाम, लड़की किसी भी समाज, धर्म, जाति की हो लड़की लड़की होती है और उसकी इज्जत पूरे देश की इज्जत है। लड़की द्वारा उठाया गया यह कदम क्षेत्र, समाज, या महिला का अपमान नहीं बल्कि यही इस देश का असली सम्मान है और जो इसे अपमान समझते हैं उनको कभी तो सद्बुद्धि मिले यह उम्मीद करता हूँ। आर पी विशाल।।