Kamaljeet Jaswal's Album: Wall Photos

Photo 1,097 of 1,789 in Wall Photos

जिस मेहनत से ज्यादात्तर स्वर्णो के बच्चे IAS, CA, SSC, MCA की तैयारी करते है।
क्षत्रियों बच्चे UPSC, RAILWAY, NDA आदि की परीक्षाओ की तैयारी करते है।
बनियों के बच्चे MBA, Business, engineering, IIT, Medical etc. की तैयारी करते है।

उससे भी कडी मेहनत से हमारे पिछड़ा और शोषित वर्ग के बड़ी तादाद में बच्चे
कांवर यात्रा,
दहीहंडी,
गणेश पूजा,
नवरात्रि,

पैदल - लेटकर धार्मिक यात्रा, परिक्रमा , जिस देवी देवता का ट्रेंड चलता है जैसे कि पीताम्बरा माता, सांई बाबा, कैला देवी करौली, कुलदेवी, कुलदेवता आदि के दर्शन की तैयारी करते रहते है। इनमे लड़कियां सबसे आगे हैं यानि आप यकीन कीजिये अनुसूचित जाति की 99 प्रतिशत से भी अधिक लड़कियां, सवर्ण लड़कियों की अपेक्षा अत्यधिक धार्मिक प्रवृत्ति और उससे ज्यादा अंधविश्वासी होती है। इन्हें अपने संवैधानिक अधिकारों के बारे कुछ भी नहीं पता है पर व्रत और त्योहारों के बारे सबसे ज्यादा पता है। असल मे इनके दिमाग मे सबसे ज्यादा बिठाया गया कि 16 सोमबार के व्रत रखने से अच्छा पति मिलता हैअब सारा फोकस वहीं होता है। इसी चक्कर ये लड़कियां 16 सोमबार के व्रत एक या दो बार नहीं कई ऐसी है जो 8-8 बार रख चुकी है।

दुःख तब हुआ जब मैंने ऐसी लड़कियों को तीन तीन बच्चों के साथ अपने नशेड़ी पति से लड़ते हुए देखा। लड़के भी जो जीवन के संघर्ष में फेल हो जाते हैं इसी आकर्षण में डूबे रहते हैं कि कोई तो चमत्कार है, मैने कोई बड़ी धार्मिक यात्रा नहीं की वरना मैं पिछड़ कैसे गया और जो मेहनत करके आगे निकल जाते हैं वे भी मानते हैं कि कोई तो शक्ति है वरना मैं ही क्यों सफल हुआ। सबसे बड़ी बात धार्मिक कट्टरता इसी वर्ग में सवर्णों से ज्यादा मिलेगी। क्योंकि उनका मनोबल ही इनसे हैं। धार्मिक भावनाएं भी इसी वर्ग की ज्यादा आहत होती है कभी इनसे बात करके देखिए। पर सबकुछ जानने के बाद भी जातिय भावनाएं कभी आहत नहीं होती। उसे सुन भी लेते हैं और सह भी देते हैं। इस मानसिक गुलामी, सामाजिक, वैचारिक और सांस्कृतिक रूप से पिछड़ों को उचित शिक्षा ही सद्बुद्धि प्रदान कर सकती है।

-जिस दिन ये मंदिर जाने वाली भीड़ स्कूल की तरफ जाने लगेगी वो देश खुद ही विकसीत होना शुरू कर देगा -बाबा साहब अम्बेडकर॥ #रिपोस्ट।