क्या हुआ?
सौ बच्चे ही मरे हैं, न
किसी मां के आचल से
उसका लाडला ही छिना है, न
कोई पिता अपनी लाडली ही खोया है, न
फिक्र की क्या बात है
कुछ आबादी ही कम हुई है, न
कोई आफत थोड़ी टूट पड़ी है
कोई बड़का मनई के बच्चे थोड़े ही थे
गरीब-गुरबा,घुरहु-निरहु के बच्चे थे
मरते ही रहते हैं
वे भी, मुजफ्फपुर बिहार के
कोई नई बात थोडे ही है
और सब तो ठीक है न?
कहीं किसी ने गौ मांस तो नहीं खाया?
गौ मात पर कोई आफत तो नहीं आई?
भारत माता सुरक्षित है न
पाकिस्तान ने आंखें तो नहीं तरेरीं?
हिंदुओं पर को संकट तो नहीं आया?
विश्न की सबसे ऊंची रामलला की स्टैचू बन रही
है ना नेता, मंत्री-संतरी सुखी हैं न
उनके आराम में कोई खलल तो नहीं पड़ी?
प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा जारी है न
कोई दलित, ठाकुर-बाभन के मुहल्ले में
घोड़ी पर तो नहीं चढ़ा?
किसी नाई, धोबी, पासी ने
बाभन की लड़की से प्यार तो नहीं किया ?
किसी मुसलमान ने हिंदू लड़की को मुहब्बत का
पैगाम तो नहीं भेजा?
आदिवासियों ने अडानी-अंबानी कोई प्रोजेक्ट तो
रोका है, न
देश सुरक्षित हाथों में है न
तो सब ठीक है