बाबा साहब के सपनो को तार-तार करने वाले हमारें मूलनिवासी सामाज के ही गद्दार लोग है !
स्कुल का दरवाजा बाबा साहब ने खुलवाया, परिवार अपना बाबा साहब ने खोया। अपमान सह कर भी हमारे लिए सौगात के रूप में संविधान दे गये, लेकिन बहुजन सामाज के लोग अपने घरों में उन पाखंडियो की मूर्ति सजा कर अपना भविषय गुलामी की तरफ ढ़केल रहे है!
मै उन गद्दारो से पुछना चाहती हू की जब देश मे दासी प्रथा के तहद हमारे समाज की बेटियो को ये यूरेशियन ब्रह्मण मंदिर मे अपने भोग का सामान बनाकर ईज्जत लुटते थे, तब ये पाखंडी कहा मर गए थे, है कोई जवाब इसका आप भक्तो के पास अगर नही है तो पाखंडी ग्रंथो को दरकिनार कर उनकी जगह संविधान को पढ़ो अपने बच्चो और सामाज को भी पढ़ने के लिए कहो!
जरूरत संविधान से पुरी होति है पाखंडी ग्रंथो सें नही। जरूरत पडने पर भगवान का भी केस बाबा साहब के द्वारा लिखे गए संविधान से ही सुलझाना पड़ता है!
हम मानव हैं मानवता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार हैं!
एक बनो नेक बनो !
जय भीम