Kamaljeet Jaswal's Album: Wall Photos

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हनुमान जयंती के अवसर पर,
सपेशल,हनुमान जी के इस मैसेज को कम से 10 लोगो या 10 ग्रुप जरूर भेजे , मनोकामनाएं अवश्य पूरी होंगी।
जो नही भेजेगा, कोई अनहोनी....

पुरे देश में उसकी जयंती मनाई जाती है जिसके बारे में कहा जाता है वो हवा में उड़ सकता था सूर्य को निगल सकता था।मतलब पृथ्वी के ऑर्बिट से बाहर जा सकता था और आ सकता था।विज्ञान कहता है किसी वस्तु को 11.2 km/s मतलब 40320 किलोमीटर प्रति घण्टा के रफ़्तार से फेंकने पर ही वह वस्तु अंतरिक्ष में चली जायेगी। -185 ℃ के लिक्विड ऑक्सीजन को क्रोयोजेनिक इंजन में विस्फोट कर अंतरिक्ष यान को इससे भी ज्यादा गति से धक्का दिया जाता है।तब कोई यान अंतरिक्ष में जा पाता है। हनुमान

वैज्ञानिक यह भी सिध्द कर चुके है भूमध्य रेखा किसी अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित करने के लिए आदर्श स्थान है क्योकि भूमध्य रेखा में पृथ्वी की गति 1670 किलोमीटर/घण्टा होने से अंतरिक्ष यान को 500 किलोमीटर/घण्टा की अतिरिक्त गति प्राप्त होती है भूमध्य रेखा के नजदीक होने के कारण ही भारत में थुम्बा को अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण के लिए चुना गया है।भारत की सीमा भूमध्य रेखा से 8°4 N में आरम्भ होती है।पर ऐसा कोई भी प्राचीन प्रक्षेपण केंद्र के अवशेस भारत और विश्व में कही प्राप्त नही हुआ है ना धर्म गर्न्थो में किसी टेक्नालाजी का वर्णन है जिससे वो उड़ते थे,उनका प्रक्षेपण केंद्र किस स्थान पर था इसका कही उल्लेख नही है।।
ये तो हो गया लांचिंग स्टेशन और स्पीड का गणित अब नजर डालते है टेम्प्रेचर और आकार पर।

15 मिलियन ℃ डिग्री केंद्र के ताप, 5500 ℃ अँधेरे हिस्से के ताप और 4320℃ बाहरी ताप वाले एवं पृथ्वी की त्रिज्या (40000 किलोमीटर) से 17.5 गुना बड़े (700000 किलोमीटर) सूर्य को निगले थे ऐसा कहा जाता है।पृथ्वी में कुल सूर्य ऊर्जा का मात्रl 0.000000724654% पहुंचने पर अप्रैल महीने में ये हाल
है।48℃ में चिड़िया मरने लगती है,50℃ रिस्ट वाच काम करना बन्द कर देती है,हम डी हाइड्रेशन के शिकार होने लगते है।विज्ञान अभी तक 1000℃ तक क्षमता वाले फायर प्रूफ जैकेट का निर्माण कर पायाहै। उधर पृथ्वीo से 6000 किलोमीटर दूर में तापमान 258°F से 158°F में झूलते रहने, हवा को कोई दबाव नही होने , आक्सीजन की अनुपलब्धता, ध्वनि के आवागमन का साधन नही होने के कारण जीवन असम्भव हो जाता है।

उधर बिना आक्सीजन के 15 करोड़ किलोमीटर दूर पहुंचकर सूर्य को निगलते थे? पता नही कौन सा okफायर प्रूफ जैकेट पहन कर उड़ते थे? पता नही 4320℃ तापमान को कैसे बर्दाश्त करते रहे होंगे? उनके पास कौन सा तापमान प्रूफ पोशाक रहा होगा ? 700000 किलोमीटर त्रिज्या वाले सूर्य को निगलने के किये अपने मुंह कितना बड़ा करते रहे होंगे? और उतने बड़े सिर को सम्भालने अपने पैरो को कहाँ स्थिर करते होंगे?
खैर आप लोग ज्यादा सोचो मत दिमाग का दही बन जाएगा .

-इंसानियत का सुभचिंतक