Kamaljeet Jaswal's Album: Wall Photos

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#एक_और_अयोध्या :- कौन सच्ची कौन झूठी
#थाईलैण्ड V/S #भारत

भारत से सदैव अलग एक देश थाईलेंड , जहाँ के बैंकाक और पटाया को भारत से प्रति वर्ष लगभग 3 करोड़ लोग मसाज और सैंडविच मसाज तथा ऐय्याशी करने जाते हैं

वहाँ एक अयोध्या भी है जो भारत स्थित अयोध्या से करीब 400 साल पहले की निर्मित है।

"रामायण" सर्वप्रथम महर्षि वाल्मिकी द्वारा लिखी गयी परन्तु भारतीय समाज में उसे श्रृद्धा के रूप में मुगल शहंशाह अकबर की बादशाहत में गोस्वामी तुलसीदास के लिखे "रामचरित्र मानस" के बाद ही लिया गया।

फैज़ाबाद स्थित अयोध्या के भवनों , कनक मंदिर , राम जानकी मंदिर , हनुमान गढ़ी इत्यादि समेत पूरी अयोध्या का निर्माण भी मुग़ल शहंशाह अकबर के दौर में ही हुआ यह आर्किलाजिकल सर्वे की रिपोर्ट भी कहती है और भवन निर्माण विशेषज्ञ भी कहते हैं।

अर्थात भारत स्थित अयोध्या का निर्माण सन 1500 ईस्वी में तब किया गया जब गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित्र मानस अकबर के शहंशाह रहते लोकप्रिय हुई।

थाईलैंड की राजधानी बैंकाक से 80 किमी दूर स्थिति यह "अयोध्या" सन 1285 से भी पहले की है इसका सबूत यह है कि वहाँ सन् 1285 ईस्वी में लिखा एक शिलालेख मिला है जो आज भी बैंकाक के राष्ट्रीय संग्राहलय में रखा हुआ है।

इसमें राम के जीवन से जुडी़ घटनाओं और भौगोलिक क्षेत्रों का विवरण मिलता है।

आपको संभवतः पता नहीं होगा तो बताता चलूं कि दुनिया में देह व्यापार के सबसे बड़े बाज़ारों में शामिल थाईलैंड में आज भी संवैधानिक रूप में "रामराज्य" है।

बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग वहां अपने राजा को राम का वंशज होने से विष्णु का अवतार मानते हैं , इसलिए, थाईलैंड में एक तरह से राम राज्य है l

वहाँ आज भी 'राम दशम' का राज है जो अपने आप को भगवान राम का वंशज मानते हैं। "वजीरालंगकोर्न" यानी 'राम दशम' 16 अक्टूबर 2017 को 64 वर्ष की आयु में लेकिन

अपने पिता की मृत्यु के 50 दिवसीय शोक के बाद 1 दिसंबर 2016 को राजगद्दी पर आसीन हुए थे। थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना 1932 में हुई थी।

खैर , अयोध्या पर आते हैं
थाईलैंड का प्राचीन नाम "सियाम" था ! यह ऐतिहासिक सच है कि सन् 1612 तक सियाम की राजधानी अयोध्या ही थी।

लोग इसे वहाँ की भाषा "अयुतथ्या" के नाम से जानते हैं। सन् 1612 ईस्वी में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक शिफ्ट की गई थी।