मरीजों को दवाई नही.... डॉक्टर नही... सरकारी हॉस्पिटल में टेस्ट और ऑपरेशन की सुविधा नही...
लेकिन मंत्री को लग्जरी कुर्सी ही चाहिए... जितने की एक मंत्री को कुर्सी मंगवाई गई उतने में 2 मरीजों के टेस्ट हो जाते। के मरीजों को मुफ्त दवाइयां दी जा सकती थी। लेकिन आम आदमी की जिंदगी की यहां कोई कीमत नही है। कीमत है तो मंत्रियों और विधायकों की। बाकी सब क्या भेड़े है जिनको जैसे मर्जी ट्रीट करोगे?
यह बेहद शर्मनाक है कि आज सरकार में बैठे लोग इस तरह के दकियानूसी फैसले लेते है। जब देश में स्वास्थ्य सुविधाएं मुफ्त में मिलनी चाहिए और यह सरकार की जिमेवारी है तो टेस्ट महंगे करना कहाँ का न्याय है?