ज़ीस्त में मेरी कमी है साथ में जो तू नहीं है
याद करके बातें उसकी आज आंखों में नमी है
आज मैंने नाम उसके प्यार की चिट्टी लिखी है
बेवफ़ा होने से उसके ज़ीस्त तन्हा हो रही है..
क्या मिला है प्यार करके चोट दिल पे ही लगीं है
कम नहीं होती ये आज़म दिल में ही जो बेबसी है