एक योधा का युद्ध कभी दुश्मन से तो कभी अपनी जिंदगी से।
आज मे CRPF के एक ऐसे योधा से मिली जिसने देश के खातिर अपनी जान तक की परवाह नही की आज से करीब 4 साल पहले जम्मू कश्मीर मे हुए एक आतंकी मुठभेड़ मे ये सैनिक घायल हो गए थे जिसके चलते कई महीनो तक ये कोमा मे भी रहे। लेकिन ईश्वर की कृपा से आज ये कोमा से तो बाहर आ गए पर फिर भी आज शरीर की कई चुनोतियों को झेल रहे है।
आज इनसे मिलकर जाना की दर्द को किस तरह से झेल कर भी जिया जा सकता है। चार साल ये बोलने मे जितने आसान हमे लग रहे है उतने ही मुश्किल इनके लिए थे क्योंकि इन चार साल मे इन्हे खुद भी नही पता था की ये जिंदा है या नही। साथ साथ यही आकर ये भी पता लगा की इन चार सालों मे आज पहली इनको पानी पिलाया गया। समझ नही आ रहा क्या क्या लिखू क्योंकि हर शब्द मेरा इनके दर्द के आगे छोटा हो गया है।
आज जाहा दुःख हुआ बहुत कुछ जानकर वही दूसरी तरह अपने इस सैनिक पर गर्व भी हो रहा है की ये है मेरे देश के सैनिक जो आतंकियों का और जिंदगी के हर दर्द का सामना करना बख़ूबी जानते है। लेकिन अफ़सोस की बात है की हम लोग जिनके खातिर ये सैनिक इतना सब कुछ झेल रहे है हम इन्हे कभी समझ ही नही पाते आखिर क्यों???
यहाँ आकर एक सच का ओर पता लगा जिसके लिए मै सबसे तहे दिल से धन्यवाद करती हु ना सिर्फ इनकी bn को बल्कि पूरे CRPF डिपार्टमेंट को क्योंकि इन सैनिक के साथ इनकी देखभाल के लिए खुद डिपार्टमेंट ने पिछले चार साल से दो ओर सैनिक इनके साथ भेज रखे है ताकि इनकी देखभाल अच्छे से हो सके।आज ये सब देख कर एक तस्सली हुई की खुद CRPF डिपार्टमेंट अपने हर सैनिक का ख्याल बखूबी रखता है और उनके साथ है। मेरी तरफ से एक बार फिर से पूरे CRPF डिपार्टमेंट को धन्यवाद। और ईश्वर से कामना करती हु की हमारे सिर्फ ये सैनिक नही बल्कि इनके जैसे जितने भी सैनिक है जल्द से जल्द ठीक होकर अपने परिवार से मिले।जय हिंद