सुरजा एस's Album: Wall Photos

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सेना में जब भी नए नए रंगरूटों की भर्ती होती है तो ट्रेनिंग के दौरान उनका सामना किसी न किसी बेहद कड़े अफसर से होता ही है.. वो अफसर इन रंगरूटों की हमेशा ऐसी तैसी करके रखता है.. उसके नाम से, आवाज़ से या ख़याल से ही रंगरूटों की फट के फ्लॉवर हो जाती है..

ऐसी ही एक ट्रेनिंग में एक बेहद कड़क अफसर ने रंगरूटों की जान ले रखी थी.. जैसे तैसे ट्रेनिंग ख़तम होने आई.. तब एक दिन अफसर ने सभी से एक सवाल पूछा - जवानों ये बताओ अगर तुम्हें एक आँख एक्स्ट्रा मिल जाये तो उसका क्या करोगे और अपनी बॉडी में उसे कहाँ फिट करना पसंद करोगे..

तरह तरह के जवाब आने लगे..
किसी ने कहा - मैं सिर के दाईं तरफ लगाऊँगा ताकि दाईं तरफ से दुश्मन मुझे दिखाई दे जाए..

किसी ने कहा - मैं बाईं तरफ लगाऊँगा..

किसी ने कहा - मैं पीछे की तरफ लगाऊँगा.. ताकि दुश्मन पीछे से दिखाई दे जाए..

किसी ने कहा - मैं हथेली पर लगाऊँगा ताकि हाथ ऊँचा करके ही देख लूँ कि दुश्मन कहाँ है..

एक जवान बड़ी देर से खामोश खड़ा था.. उससे अफसर ने पूछा - क्यों बे तेरे को पीले चावल भेजने पड़ेंगे क्या?

जवान बोला - सर मैं अपनी ऊँगली में वो आँख फिट करूँगा.. फिर उसको आपके पिछवाड़े में घुसेड़कर देखूँगा कि "अंदर कीड़ा कौनसा है"

ऐसा ही कीड़ा अपने बाब्बे के अंदर भी है.. कल बाब्बे ने कोरोना की दवाई बनाने और शत प्रतिशत इलाज करने का दावा ठोंक दिया.. अब बाबा ही ठहरा.. पक्का ब्यापारी होता तो... पहले सारे न्यूज़ चैनल वालों.. अफसरों को ठूँस ठूँसकर खिलाता.. फिर आकर बोलता तो सब ठीक रहता.. लेकिन नहीं.. अंदर के कीड़े ने ऐसा करने ही नहीं दिया..

कीड़े के कारण बाब्बे को भी बड़ी चूल मची रहती है.. सीधा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भौकाल मचा दिया... ये ल्यो जी दवाई.. सिरफ 600 रुपये में ले लो..

एक ये बाबा और एक वो अमृत पिये हुए MDH मसाले वाले बाबा अपने माल की दोनों खुद ही मॉडलिंग करते हैं.. खुद ही ब्रैंड अम्बेसेडर हैं.. वहीं बड़ी बड़ी कंपनियों को देख लो.. गोरी गोरी.. चिकनी चिकनी छोरियों पर करोड़ों लुटाने पड़ते हैं और इधर बाब्बे सिरफ गेरुए कपड़े पहने.. बिना मेकअप.. बड़ी सी दाढ़ी और तिरछी आँखों से ही अपना माल बेच डालता है..

उसकी एक दंतकान्ति ने ही कईयों के दाँत खट्टे कर दिए.. अब बड़ी बड़ी कंपनियों की साँसें ऊपर नीचे हो रही.. बाब्बे के कारण उनको अपने पेस्ट में कभी नमक.. नींबू..कभी नीम यहाँ तक कि चारकोल तक घोलना पड़ रिया है.. उधर बाबा है कि बस हँसकर ढीली कर देता है..

फिर बाब्बे का कीड़ा उससे भोत सारे काम करवाता है.. फिरी फोकट में योग सिखवाता है.. हरिद्वार में हज़ारों लोगों का बहुत सस्ते में इलाज करता ही रहता है.. जिन मरीज़ों के सामने बड़े बड़े डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे..बाब्बे ने उनको भी ठीक कर दिया.. कईयों के तो आखरी स्टेज का कैंसर तक ठीक कर दिया..

लेकिन बाब्बे का कीड़ा ज़्यादा बड़ा है तो वो बाब्बे से हर आपदा में सेवा करवाता है... उत्तराखंड की हसीन वादियों को छोड़कर जाने वालों को रोकता है..उनको रोज़गार देता है.. बिना दलाली के किसानों से सीधा फसलें खरीदवाता है.. लोगों से जैविक खेती करवाता है.. फोकट में योग ट्रेनर बनवाता है.. योग आयुर्वेद को नई पहचान दिलवाता है..

फिर इस बीमारी को फैलाने में इत्ती मेहनत करनी पड़ी.. दुनिया के सबसे अमीर आदमी को जिसका सॉफ्टवेयर दुनिया के 90% से भी ज़्यादा कंप्यूटर, लैपटॉप में लगा है.. फिर भी बेचारे को और भी पैसों की ज़रूरत पड़ रही थी तो उसने खूब ठूँस ठूँसकर "विश्व बीमार संगठन" को खरीद डाला.. अपना पड़ोसी चपटा चीन तो उधार ही बैठा तो वो भी शामिल हो गया साज़िश में..अब दवाई से माल कूटेंगे..

लेकिन ये क्या.. ये बाब्बे कौन होता है.. हमारी सारी पिलानिंग को फेल करने वाला.. और वो भी सिरफ 600 रुपल्ली में बेचने आ गया.. पेलो इसको..

"ज्ञानडूओं" की कमी तो है ही नहीं हमारे देश में.. किसी कंपनी ने 103/- की गोली बताई तो बड़े खुश.. किसी ने कोई विश्लेषण नहीं किया.. लेकिन जैसे ही बाब्बे ने कल भौकाल काटा.. सबके सब बड़के विशेषज्ञ ज्ञानडू शुरू हो गए.. ऐसे थोड़े न होता है.. दवाई बाज़ार में आई नही.. लेकिन बाब्बे की दवाई का और बाब्बे के इरादों का विश्लेषण शुरू कर दिया...आयुष मंत्रालय ने प्रचार पर रोक लगाई तो शुरू हो गए..

किसी से पूछो अच्छा कोई एक काले या काली को सामने लाओ जो फेयर & लवली से गोरा या गोरी हो गई हो.. लेकिन ये किरिम की सेल करोड़ों में है... किसी गोरी, चिकनी चमेली हीरोईन को पकड़कर लाते हैं.. फिर मेकअप से उसको काला करते हैं.. फिर सिरफ 6 हफ़्तों में ही उसको गोरा कर डालते हैं.. उस पर किसी को तकलीफ नहीं.. लेकिन बाब्बे से बड़ी तकलीफ है..

पहले इसने साबुन, तेल, पेस्ट बेचने वाली कंपनियों की वाट लगाई.. अब पेटेंट करवाकर ज़बर माल कूटने की पिलानिंग करके बैठी फार्मा कंपनियों के बाल बच्चों की भी रोटी छीनने पर उतारू हो गया..

कोरोना का इलाज नहीं है.. लेकिन पिराइवेट अस्पतालों में लाखों का बिल बन रिया है.. अब कोई मरीज़ को देखने जा नहीं सकता.. उसके साथ रह नहीं सकता...तो ये लो पकड़ो.. मोटा मोटा बिल.. आदमी दहशत में ही मर रिया है.. कोई घर में छींक भी दे तो घर वालों का बीपी हाई हो रिया है..

अब जिसको जो भसड़ मचानी हो मचाओ.. बाब्बे की दवाई से कौन कितना ठीक होता है ये तो समय ही बताएगा.. और किसी ने कनपटी पर बंदूक रखकर नहीं कहा है कि बाब्बे कि दवाई खानी ही है.. जमे तो टेक.. वरना घंटाघर देख..

लेकिन बाब्बे ने एक काम तो कर ही दिया है.. घोर निराशा..अवसाद.. घबराहट में डूबे लोगों में एक विश्वास तो जगा ही दिया है.. ये विश्वास भी कोरोना को हराने में मानव जाति की मदद करेगा..

बाब्बे के कीड़े ने लोगों के दिल, दिमाग में "इम्युनिटी बूस्टर" भर दिया है..

बाब्बे के कीड़े तू ऐसे ही बाब्बे को काटते रहना..

Harshal Khairnar