ʍaռɖɛɛք ʍaɦɨ's Album: ғactz%"

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मैंने जब भी निगाह उठायी है
झूठ की शय जहां में पायी है
कोई अपना नज़र नहीं आता
जो भी सूरत मिली परायी है

मौत को एक दिन तो आना है
आयेगी कब न कुछ ठिकाना है
मेरे मौला दुआ है इक मेरी
मुझ पे इतना करम दिखाना है

चाहे जितनी भी तू नमी दे दे
मुझे थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे
ग़म सहे हैं बहुत ज़माने में
मेरे अहसास को ख़ुशी दे दे

दिल अगर तेरा अक्स पा जाये
मेरे दिल को सुकून आ जाये
तीरगी के उदास आलम में
नूर की इक बहार छा जाये

रूह को तू मेरी जगा देना
मेरा दिल आप में लगा देना
भूल जाऊं तमाम दुनिया को
राहेजन्नत मुझे दिखा देना.