सुना हैं आजकल बहुत पढ़ने लगे हो किताबों को..!
एक मेरा खत भी जरा पढ़ लो ना..!!
शब्द नहीं इसमें..एहसासों का दरियां हैं
गीता जैसा पावन कान्हा जैसा अनमोल हैं..!
बेशक इसमें जज्बातो को बेखूबी पिरोया हैं..!
ज़रा पढ़ के बताना ह्रदय को स्पर्श किया हैं क्या..!!
माना बेबाक बातों को हमने उलझा रखा हैं..!
हो सके तो सुलझाने की थोड़ी कोशिश करना..
ना सामने से सही कम से कम इशारों में इकरार करना..!
यूँ तो अपने दिल पर अलफ़ाज़ लिखता हूँ तेरे नाम से..
पर मेरे खत को पढ़कर इसका मान रखना..!!
मैंने संजोया हैं इसमें वो तमाम हसीं के पलों को
जिनको कभी हमने साथ मे जिया था..!!
सुनो जरा गौर से देखना इसमें कुछ अलफ़ाज़ को..
मैंने गुमनाम शब्दो की तरह पिरोया हैं..!!
फुर्सत मिले तो पढ़ना मेरे खत को..
मैंने इसे दिल से लिखा हैं..!!
" मेरी डायरी