मेरी महोब्बत का अन्दाजा कभी मत लगाना …
हिसाब हम लेंगे नहीं और चुका तुम पाओगे नहीं !!
ये ना समझना कि खुशियों के ही तलबगार हैं हम…
तुम अगर अश्क भी बेचो तो, उसके भी खरीददार हैं हम…!!
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क्या लाज़वाब था तेरा छोड़ के जाना…
भरी भरी आंखों से मुस्कुराये थे हम !!
कैसे लिखोगे मोहब्बत की किताब…
तुम तो करने लगे पल-पल का हिसाब !
मुस्कुराने की आदत भी कितनी महंगी पड़ी हमें…
छोड़ गया वो ये सोच कर कि हम जुदाई में भी खुश हैं !
आहटों से कह दो कि आहटें ना करें,,
मेरा महबूब सो रहा है मेरी पलकों में !!
तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है….
तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है !!
हर वक़्त उसी के ख्यालों में खोए रहते हैं…
और उसे शिकायत है कि मुझे खुद से फुर्सत नहीं मिलती !!
थोड़ा मैं , थोड़ी तुम, और थोड़ी सी मोहब्बत
बस इतना काफी है, जीने के लिये…
तुम से बेहतर तो नहीं हैं…..ये नजारे, लेकिन…..
तुम जरा आँख से निकलो, तो…. इन्हें भी देखूं !!!
कुछ फासले तुम भी तो मिटाओ जान..
हम तुम तक आये, तो कहाँ तक आये !!
कोई प्यार से जरा सी फूंक मार दे, तो मैं बुझ जाऊं..!!!
नफरत से तो तूफान भी… हार गए मुझे बुझाने में ।।
मेरी मोहब्बत की हद मत तय करना तुम…
तुम्हें सांसों से भी ज्यादा मोहब्बत करते हैं हम !!!