वो घर में ही नहीं अब देश की सीमाओं की भी सुरक्षा करती है ,
वर्षा हो शीत लहर हो या फिर ज्येष्ठ मास की तपती धूप हो वो सदैव जाग्रत रहती है
उसके भाई उसके बच्चे सदैव सुरक्षित रहें इसलिए स्वयं कष्ट सहकर भी मुस्कुराती रहती है...
वह मात्र स्त्री ही नहीं है वह आदिशक्ति है यदि सीता के रूप में वाल्मीकि के आश्रम में कष्ट सहती है..
तो वही दुष्टों के संहार के लिए भद्रकाली का रूप भी धारण कर लेती है...