सत्तर लाख से अधिक आदिवासियों के विस्थापन की असल वजह ये है कि भारत के जंगल समृद्ध हैं, आर्थिक रूप से और पर्यावरण की दृष्टि से भी. देश के जंगलों की कीमत लगभग 1150 खरब रुपये आंकी गई है.
ये भारत के सकल राष्ट्रीय उत्पाद से तो कम है लेकिन कनाडा, मेक्सिको और रूस जैसे देशों के सकल उत्पाद से ज्यादा है.
जंगलों में जमीन के नीचे बेशकीमती मिनरल्स मिले हैं। सारी लूट खसोट उसी के लिए है!