एक स्त्री ने दो चाकू ख़रीदे, एक को उसने सुरक्षित आलमारी में रख दिया और दूसरे को प्रयोग में हमेशा लिया सब्जी और फ़ल काटने में। दूसरा हमेशा पहले से जलता देख़ो कितना प्यार करती उसे सम्हाल के रखा मुझे रोज़ प्रयोग करती हैं।
वर्ष भर बाद एक दिन त्यौहार में दूसरे चाकू की अवश्यक्ता पड़ी, लेकिन कभी उपयोग न होने के कारण रखे रखे उसमे जंग लग गया आवशयक्ता पड़ने पर काम न आ सका।
मित्रों इसी तरह यदि हमने दीक्षा ली और नियमित उपासना, साधना, आराधना के साथ सत्साहित्य का नियमित अध्ययन नहीं किया तो हमको अपेक्षित सफलता नहीं मिलेगी। हमारी साधना में प्राण नहीँ आयेगा। हमारी गुरु दीक्षा को जंग लग जायेगा और हमारा उद्धार नहीं हो पायेगा।
साधना में प्राण आएगा ईश्वर के प्रति सच्चे प्रेम, नियमितता (जप,ध्यान और स्वाध्याय), सच्चे भाव, श्रद्धा आर पूर्ण विश्वास से।