प्रमोद कुमावत Pramod kumawat's Album: Wall Photos

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दीपक का आश्वासन

सूरज विदा होने को था- अंधकार की तमिस्रा सन्निकट थी। इतने में एक टिमटिमाता दीपक आगे आया और सूरज से बोल उठा-'भगवन्! आप सहर्ष पधारें। मैं निरन्तर जलते रहने का व्रत नहीं तोडूँगा जैसे आपने चलने का व्रत नहीं तोड़ा है। आपके अभाव में थोड़ा ही सही, पर प्रकाश देकर अंधकार को मिटाने का मैं पूरा-पूरा प्रयास करूँगा। ' छोटे से दीपक का आश्वासन सुनकर सूर्य भगवान ने उसके साहस की सराहना की व सहर्ष विदा हुए।

प्रयत्न भले ही छोटे हों पर प्रभु के कार्यों में ऐसे ही भावनाशीलों का थोड़ा-थोड़ा अंश मिलकर युगान्तरकारी कार्य कर दिखाता है।

आदर्शवादी दुस्साहस की ही प्रशंसा होती है। वह सत्साहस के रूप में उत्पन्न होता है और असंख्यों को अनुप्राणित करता है। श्रेय किस व्यक्ति को मिला यह बात नितान्त गौण है। यह तो झण्डा लेकर आगे चलने वाले की फोटो के समान है। जबकि उस सैन्यदल में अनेकों का शौर्य, पुरुषार्थ झण्डाधारी की तुलना में कम नहीं, अधिक होता है।