वैसे मैं भी ओबीसी हूं लेकिन मैं अम्बेडकर साहब का बिल्कुल भी सम्मान नहीं करता क्योंकि जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था तब अम्बेडकर साहब विदेश में पढ़ाई करने लिए गए थे।कभी चुनाव नहीं लड़े फिर भी नेहरू द्वारा कानून मंत्री बनाए गए सिर्फ डिग्री प्राप्त करने मैं समय बिताया इतने पड़े लिखे होने के बावजूद कोई आविष्कार कोई खोज नहीं की। स्वतंत्रता संग्राम में कभी भाग नहीं लिया फिर भी मुस्लिमो के लिए अलग पाकिस्तान बनाने का समर्थन किया। हिंदुओ में फूट डालने के लिए अंग्रेजो कि नीति पर काम किया और डिप्रेस्ड शब्द को तोड़कर दलित शब्द बनाया ताकि हिंदुओ में जातिवाद को बढ़ावा देकर हिंदुओ को समाज में अलग अलग किया जा सके। जिस व्यक्ति को ब्राह्मण ने अपना उपनाम दिया उसी ब्राह्मण के खिलाफ आवाज उठाई। जो खुद ब्राह्मणों नफरत करता था उसी ब्राह्मण लड़की ने उसे अपनाया और उससे शादी की लेकिन अम्बेडकर ने अपनी पत्नी को ही धोखा दिया । जिस मराठा राजपूत समाज के राजा ने इन्हे पड़ाया उसी समाज के खिलाफ आवाज उठाई क्योंकि हिंदुओ को अलग किया जा सके। बौद्ध धर्म को हिन्दू धर्म से अलग बताकर हिंदुओ के खिलाफ दलित समाज को भड़काने लगे। जब पाकिस्तान दलितों ओर सिखों की लाशे भरकर आ रही थी तब भी इन्होंने दलितों के प्रति कोई सहानभूति नहीं दिखाई। हिन्दू विरोधी संविधान का निर्माण किया ओर हिन्दू कोड बिल लागू करवा दिया । ब्राह्मणों पर जातिवाद का ठीकरा फोड़ते थे खुद अनुसूचित जातियों के भीतर आपसी विवाह का विरोध भी करते थे। इतने पड़े लिखे होने के बावजूद भगत सिंह का केस नहीं लड़ा आरक्षण लागू कर मेधावी विद्यार्थियों पर अन्याय किया । हिंदुस्तान में जब विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाती थी तब खुद अंग्रेजो के साथ कंधा मिलाकर ओर अंग्रेजी सूट बुट में रहते थे। ओर वैसे भी अम्बेडकर मेहतर जाति से थे ना कि चमार थे। बस हिंदुओ में आपसी फूट डालने के लिए अंग्रेजी सरकार के इशारे पर जातिवाद का खेल खेला ओर हिंदुओ को आपस में तोड़ा। इसलिए में ओबीसी होकर भी बाबा साहब अम्बेडकर का साथ नहीं देती हूं।
मेरी पोस्ट कुछ अंध भक्तो और नव बौद्धों को बुरी लगेगी ।
क्योंकि अंधो को चश्मा और मुर्खो को ज्ञान हजम नही होती .......