कुछ कुकुरमुत्ते दियो से तेल बटोरती बच्ची के फोटो को चिपका चिपका कर ज्ञान बाट रहे है,उन कुकुरमुत्तों को बताना चाहता हु,ये बच्ची इसी लिए दीपक से तेल भर पा रही है क्यो की त्योहार हिन्दू का है, ये बेटी मन्दिर की बजाय कही और त्योहार पर कुछ बटोरने जाती तो क्या मिलता सब जानते ह,ये वहां से कुछ हासिल ही कर लेती वो भी गनीमत थी। पंछी हो या गरीब की बेटी उसे अपेक्षा मन्दिर की चौखट से ही है और कही जाने की सोचते तक नही पंछी या बेटी दोनो को शिकार होने का डर रहता है।
हिन्दू ही वो धर्म है जो चींटी से लगाकर हाथी ओर कन्या से लगाकर दरिद्रनारायण की सेवा करता है।
अतः है कुकुरमुत्तों हो सके तो अपने गांजे दारू चरस सैफई डांस रीचार्ज जैसे फालतू खर्चो से पैसे बचाकर किसी गरीब को देने की कोशिश करो पर बदले में जहर भरने की शर्त के बिना।
हिन्दू त्योहार गरीब के प्रकृति के समाज के सबके हित मे होते है, बाकी त्योहार तो बाजारों में तनाव उपद्रव पैदा करते है, अतः है चमन सुतियो जरा उधर नजर घुआओ ओर बकरे और फालतू के पेसो से गरीब के घर का चूल्हा जलाने की हिम्मत करो ,मुझे पता है तुम नही करोगे कुकुरमुत्तों क्यो की तुम्हरा उद्देश्य गरीबी मिटाना नहीं बल्कि हिन्दू ओर हिन्दू तयोहारों को टारगेट करना है।
तुम्हे बर्बाद होता पैसा दिल्ली की लेज़र लाइट दीवाली उत्सव, सैफई नंगा नाच, बर्बर टीपू जयंति जैसे जगह पर मुह में दही जम जाता ह ,लाखो करोड़ो रूपया बहा दिया जाता ह जिससे होता कुछ नही।
न गरीब के पल्ले पड़ता और न कुछ हासिल ही होता सिवाए ये दिखाने के की हम सेक्युलर ह।
अतः गटर में लोटते सुवरो से निवेदन है कि एक दियो में 2 रु का तेल आता है जिसमे दिया बनाने वाले से लेकर, किसान की ऊन तक का दाम दिया जाता ह।
सैफई डांस, से ज्यादा गरीबी मिट सकती है उस पर वामपंथी ज्ञानी कुकुर जरूर चिंतन करे।
भगवान खुद बिक जाते है बाजार में गरीब का पेट भरने के लिए ,वही दूसरी तरफ शान में गुस्ताख़ी पर गर्दन कट जाती है कुकुरमुत्तों।