सुनील राजपूत -fit.coach's Album: Wall Photos

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बड़ी संख्या में हिन्दू गुरु तेगबहादुर से औरंगजेब के अत्याचार से बचाने के लिए मदद मांगने पहुंचे। तय हुआ कि दिल्ली जाकर गुरू तेगबहादुर औरंगजेब से बात करेंगे...

हालंकि ये सब जानते थे कि विभाजन अटल है जिन्ना किसी की सुनने को तैयार नहीं है ...एक आखिरी प्रयास के तौर पर फिर भी अंगद रावण की सभा में पहुंचा। उसने अभिमानी रावण को बताया अभी भी श्राीरम के साथ सुलह कर ले...

लेकिन दुर्योधन कब सुनने वाला था। उसने आदेश दिया शांतिदूत कृष्ण को बंधक बना लिया जाए...

बंधक बनाए गए गुरू तेगबहादुर को दिल्ली के चांदनी चौक पर शहीद कर दिया गया...

उनके बेटे बालक गुरू गोविंद सिंह ये समझ चुके थे...अत्याचारी शांति की भाषा नहीं समझते वो तो बस ताकत को पहचानते हैं...राम ने अपनी सेना तैयार की और लंका पहुंच गए...जिन्ना के गुंडों ने दंगे करने शुरू किए..पूर्वी बंगाल और पंजाब में आग लग गई...जवाब देने के लिए गुरू गोविंद से रक्त मांगा पांच लोग एक एक कर के सामने आए... खालसा पंथ की स्थापना हुई।

एक बड़ी सेना का निर्माण हुआ और कुरूक्षेत्र में युद्ध शुरू हुआ.. कांग्रेसी नेताओं को लगा वो अहिंसा से इसका जवाब दे पाएंगे...उपवास रखे गए ये सोचकर की शायद सामने वाले का दिल बदल जाए....रावण मारा गया....दुर्योधन का भी अंत हुआ....खालसा पंथ के पहले राजा के तौर पर महाराजा रणजीत सिंह गद्दी पर बैठे....लेकिन चौथी कहानी में सत्यमेव जयते नहीं हुआ.....

कायर नेतृत्व की कीमत सिंध पंजाब और बंगाल ने चुकाई ... दो करोड़ लोग विस्थापित हो गए ...10 लाख लोग मारे गए....आज तक कश्मीर जल रहा है....रोज कोई ना कोई सैनिक शहीद हो रहा है...

कारण 47 का हमारा घोषित अहिंसक नेतृत्व...शांति का प्रयास अंत तक कीजिए....जैसा गुरु तेगबहादुर ने किया, कृष्ण ने किया, राम ने किया, लेकिन सफल ना होने पर युद्ध के लिए तैयार रहिए जिसके लिए ना गांधी रहे ना नेहरू..
अविनाश त्रिपाठी

#पृथ्वीराजसनातन