शनिवार 02.06.2018
द्वितीय ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष 4
विक्रम सम्वत् 2075
श्री वीर निर्वाण सम्वत् 2544
*सुविचार*
मन को गुलाम बनाइये।
वैसे सब फ़कीर हैं. धन क्या कोई लादे फिरता है? हवेलियाँ कोई जेब में रख कर चलता है? पद या ओहदे कोई हथेली पर लिए नहीं फिरता. यह सिर्फ मन है जो क्षण भर में आपके सर पर करोड़ों लाद दे और क्षण भर में आपको कंगाल कर दे. बिस्तर में पड़े पड़े या किसी चौराहे पर खड़े खड़े आप पलक मारते कंगले हो पड़ते हैं और क्षण भर में विश्व के सबसे महान सम्पत्तिवान. मन चाहे तो किसी तख्ते ताउस पर आपको बिठा दे और चाहे तो दर दर भिखारी बना दे. इसलिए मन के गुलाम मत बनो, मन को गुलाम बनाओ. और असल में गुलाम बनाओ ही क्यों, इसे एक अच्छा / विश्वसनीय मित्र या सखा ही क्यों न बनाया जाए?
स्व. डा. नेमीचंद जैन
*इतिहास में आज*
1947 : लार्ड लुई माउंटबेटन ने भारत के विभाजन की घोषणा की।
सभी मित्रों को सपरिवार सादर जयजिनेंद्र, शुभप्रभात और नमस्कार। आपका दिन मंगलमय हो।