दोस्तों जरा विचार करें !
क्या आपको नही लगता कि दुश्मनी कर ली है हम सब ने किताबों से ।आजकल हम सब स्मार्ट फोन के मकडजाल में फंसे हुए दिखाई दे रहे है,किताबें पढ़ना छोड़ रहे है, सरकारें भी पुस्तकें के प्रति उदासीनता का भाव दिखा रही है।आज से 25-30 वर्ष पहले हर जिले में पुस्तकालय होता था लेकिन अब कहीं दिखाई नहीं देता । किताबें हमारी सच्ची मित्र होती है।
आपको मालूम होना चाहिए कि पुराने विजेता सबसे पहले किताबों को नष्ट करते थे वे जानते थे कि इनमें ग्यान छिपा है। इस दुनिया में आक्रमणकारियों ने जितने आदमी नही मारे होंगे उससे ज्यादा किताबें जलाई है।
दोस्तों किताबें इंसान की सबसे पुरानी और प्यारी दोस्त होती है जो हर समय आपका साथ देती है।
किताबों से दूर रहने वालों इनका साथ लीजिए आपके कदम-कदम पर काम आएगी।
देश में पुस्तकालय की कमी और लोगों की पुस्तकों से दूरी को समझ कर INBOOK Network एक अभियान"मेरा अपना पुस्तकालय" चला रहा है।
आप लोगों से आग्रह एवं निवेदन है कि INBOOK से जुड़े और जुड़कर इस अभियान को सफल बनाने में अपना सहयोग दे। धन्यवाद ।।
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