"सुन सको तो सुनो थोड़ी देर पुकारुंगा और चला जावुंगा।"
"स्वतंत्रता"एक दुर का सपना है अभी, बार बार दोहरा कर तुम्हारा अवचेतन गुलाम किया जाता है,जीवन भर के गुलामी के लिए।"
"मनुष्य प्राणियों का सारा जीवन शासन समाज के व्यवस्था द्वारा सिर्फ शारीरिक मानसिक प्रताडणा है।यहा अंधे पागल एक दुसरे को नियंत्रीत कर रहे है।"
"ध्यान, प्रेम,मानवता की शिक्षा के बगैर कोई स्वतंत्रता नहीं आ सकती, सदियों मे नहीं आयी, किसी देश मे नहीं आयी, शब्द अच्छे है ,तुम्हे "गुलाम"बनाकर तुम्हारा उपयोग युद्ध और तुम्हारा शोषण करने के लिए ही है।इस जीवन के बदले तुम्हें सिर्फ रोटी मिलती है।"
"सुन सको तो सुनो थोड़ी देर पुकारुंगा और चला जावुंगा"
ओशो