कोलकाता की आग में जैनों को भारी नुकसान !
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केरल बाढ़ की चिंता करने वाले अब कहां हैं ?
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• "बड़ा बाजार" कोलकाता का सबसे बड़ा व्यापारिक केन्द्र है. वहां की केनिंग स्ट्रीट किसी ज़माने में जैन श्रीमंतों का स्वर्ग था.
• धीरे-धीरे वहां मुसलमानों का आवागमन, फुटपाथ पर उनका व्यापार और अतिक्रमण बढ़ता गया. आज उस इलाके में मुसलमानों की बोलबाला है.
• परिस्थितियों को भांपकर जैन धीरे-धीरे वहां से विदा हो चुके हैं ! सूरत के गोपीपुरा जैसी बहुत ही दयनीय स्थिति है केनिंग स्ट्रीट की.
• अतिक्रमण इस कदर हुआ है कि मार्केटों में जगह-जगह कमरे तो ठीक, बरामदे, सीढ़ियां और बाथरूम भी बेच दिये गये हैं अथवा हड़प लिये गये हैं ! कुछ वर्षों बाद बड़ा बाजार के जिनमंदिर और उपाश्रय भी बंद हो जायेंगे !
• अभी 15 सितंबर की रात को वहां की बागरी मार्केट में भयानक आग लगी. वहां के लोग इसे षडयंत्र कह रहे हैं. बागरी मार्केट पूर्वी भारत की रोल्ड गोल्ड की, इमिटेशन ज्वेलरी की सबसे बड़ी मार्केट है.
• आग इतनी ख़तरनाक थी कि उसे बुझाने में पूरे 3 दिन लग गये ! मार्केट की सभी 957 दुकानें जलकर खाक हो गई.
• इनमें करीब 270 दुकानें जैन समाज की थीं. अनुमान हैं कि इस अग्निकांड से जैन समाज को 250 करोड़ रुपयों से अधिक का नुकसान हुआ है. उनके व्यापार की कमर तो पूरी तरह टूट गई है. वे कहते हैं कि आग दुकानों में ही नहीं, हमारी जिंदगी में भी लग गई है ! कई परिवार तो मानों सड़कों पर आ गये हैं.
• मेरी जिज्ञासा है कि केरल बाढ़ राहत की वकालात करने वाले जैन श्रावक, जैन संगठन और संस्थाएं अब कहां हैं ? कोलकाता में जैन समाज को हुए भारी नुकसान को देखकर किसी को मानवता, दया, साधर्मिक भक्ति या वात्सल्य याद क्यों नहीं आता ?
• क्या यह जैन समाज की दोगली, घातक या गलत नीति नहीं है ? क्या ऐसा करने से जैन समाज का अहित नहीं हो रहा ?
• मानों न मानों, पर अपनी ऐसी गलत नीतियों के कारण और दूरदर्शी सही सोच के अभाव में जैन समाज बहुत कमज़ोर हो रहा है. जैन अपनों को डूबने देते हैं और दूसरों को बचाने के लिये हाथ बढ़ाते हैं ! वे यह समझ नहीं पा रहे हैं कि ऐसा करके हम अपने अस्तित्व को ही मिटा रहे हैं !
– आचार्य श्री विमलसागरसूरिजी महाराज
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Nayi Soch, Sahi Disha
(पूज्य गुरुजी की मोबाइल एप्लीकेशन)