"मेरा फर्ज " एकबार फिर से सोच लो गीता ....वो मेरी मां है पिता के जाने के बाद अपने खून से सींचा है उनहोने मुझे पढाया लिखाया एक जिम्मेदार इंसान बनाया आज एक सरकारी नौकरी पर जो इतने बडे पद पर हूं सबकुछ मां की बदौलत ,तुमसे प्यार ...मेरी तुमसे शादी की जिद मानकर तुम्हें स्वीकार किया तुमहारी इच्छा के लिए अपने पुरखो का घर बेचकर यहां शहर आ गई वरना मे तो वहां से भी नौकरी को तैयार था ,गीता-बस मोहन अब कोई बहस नही बहुत सह चुकी मै अब वो बूढी हो चली है मेरे रिश्तेदार मेरी सहेलियां ओर आजकल का status इन सब मे मां कहा फिट बैठती है मेरा मजाक बनाया जाता है सहेलियो मे मेरी कोई चिंता नही ,ओर मां ने जो तुम्हारे लिए किया वो फर्ज था उनका हर मां बाप करते है तो उनहोने कौन सा एहसान किया ओर आजतक सेवा की ना मैने बस अब कोई बहस नही.. दोनों बच्चे मां बाप की लडाई सुनकर दादी से लिपट गये ,मोहन आँखों मे आँसू लिए अंदर कमरे मे चला गया और फोन पर जाने की बातें करने लगा गीता को लगा उसकी जीत हो गई खुशी मे झूम उठी ,बाहर आये मोहन को मां बोली-मैने अपना सूटकेस तैयार कर लिया मेरे बच्चे मै तुम दोनों पति पत्नी के लडाई की वजह नहीं बनना चाहती इसीलिए... मां गाड़ी आ गई गीता बोली ,तभी अंदर से मोहन अपना बडा सूटकेस लेकर आ गया ,गीता -ये कया तुम office के काम से बाहर जा रहे हो बताया नही ,मोहन-नही गीता मै मां के साथ अपने सरकारी क्वार्टर जा रहा हूं मैने वो छोडा नही था बच्चे ओर तुम्हें हर महीने खर्चा भेजता रहूंगा मिलने भी आउंगा ...मेरी मां ने मुझे बहुत अच्छे संस्कारो से पढाया उनहोने अपना फर्ज निभाया अब मै अपना फर्ज निभाऊंगा तुम भी बच्चो को अकेले पालकर अपना फर्ज निभाना... कहकर मां के साथ चलने को हुआ गीता के पैरो तले जमीन निकल गई तुरंत मां के पैरो मे गिरकर रोते माफी मांगने लगी आखिर मां ने बडा दिल करके माफ कर दिया बच्चे दादी से लिपट गये ,मां ने माफ करके अपना फर्ज निभाया तो बच्चो ने दादी से लिपटकर अपने प्यार को वापस पाया।
दोस्तों आपभी अपने मां बाप को प्यार ओर सम्मान देकर अपना फर्ज जरूर निभाइएगा ऐसी शुभ इच्छाओं के साथ आपका दोस्त ब्रिज मोहन
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