पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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ऐ आज़ाद मुल्क, तुम......

मेरे पैरों में पड़ी बेड़ीयाँ हटा क्यूँ नहीं देते
आज़ाद एक परवाज की रज़ा क्यूँ नहीं देते?

कुदरत ने करीने से प्राण मुझमें भी फूँकी
इस ज़िंदगी को हक़ से जीने क्यूँ नहीं देते?

घर हो, या हो शासन हो या युद्ध का मैदां
बूते से अपने मैंने आसमां को भी जीता।

फिर हर्फ़ मुझे दिल की क्यूँ लिखने नहीं देते
पहचान मेरी खुद की हो, ये होने क्यूँ नहीं देते?

घरों की तंग दीवार और रिवाज़ो में क़ैद हूँ
पैतृक सत्ता के मतलबी इमारत में क़ैद हूँ ।

रूढ़ियों से भरे मन में फ़ैयाज़ क्यूँ नहीं लाते
हक़ अभिमान से जीने का मुझे क्यूँ नहीं देते?

ऐलान है .....

हक़ सम्मान से दोगे नहीं तो छीन लेंगे हम
अधिकार जो मेरा है वो मुझे क्यूँ नहीं देते