कोई छीन के दिखाए....
मेरी होंठों की
मुस्कान को,
मेरी आँखों की शरारत को....
कोई लूट के
दिखाए....
मेरे चैन ओ
सुकूँ को,
मेरी आगे बढ़ने की चाह को...
कोई रोक के दिखाए...
मंज़िल की तरफ बढ़ते मेरे
कदमों को,
मेरे मन मे उठती तरंगों को....
ना छीन पायेगा ,
ना लूट पायेगा ,
ना रोक
पायेगा
मैं कोई टिमटिमाता दीया नही,
जो फूंक मारते ही बुझ जाएगा....
मुझे आता है आंधियों में भी जलना,
मुझे आता है पंख न होने पर भी
उमंगों के बल पर उड़ना,
आंसूं भी अब
आंखों में आने से कतराते है,
अब ये वख्त बेवख्त नहीं,
सिर्फ खुशी के मौके पर ही आते है...
गम देने की मुझे सोचना भी
मत,
अभी समझा
रही हूं,
हार जाओ तो मुझे कोसना मत...
मैं ना हारूँगी
न हारी हूँ
मैं तुम्हारी तरह कमज़ोर नही
एक मजबूत
नारी हूँ......