इस उम्र में अपने (कोढ़ी) अपाहिज पत्नी को अपने उस जीवन साथी को जिसके साथ अग्नि के सामने सात फ़ेरो के साथ सात बचन निभाने का बचन जो दिया था.अपना पति धर्म निभाते अपने पीठ पर लादे हुये जबलपुर mp से चलते हुये सोनभद्र तक का सफ़र जारी था. जब पुछा कि बाबा कहाँ तक जाना है तो उन्होने जबाब दिया जिन्दगी के आखिरी सफ़र तक.एक दूसरे का साथ निभाना है.मैं भी अपने स्वभाव के अनुरूप इन बुजुर्गो को एक दिन का भोजन के लिए कुछ पैसे देकर आगे बढ़ा. तो इन बुजुर्ग दंपति ने मेरे लिए दुआओ का भंडार खोल दिया... ..