परिवार अब कहाँ ,परिवार तो कब के मर गए !
आज जो है,वह उसका केवल टुकड़ा भर रह गए !
पहले होता था दादा का ,
बेटों पोतों सहित ,
भरा पूरा परिवार ,
एक ही छत के नीचे ,
एक ही चूल्हे पर ,
पलता था उनके मध्य ,
अगाध स्नेह और प्यार !
अब तो रिश्तों के आईने ,
तड़क कर हो गए हैं कच्चे ,
केवल मैं और मेरे बच्चे ,
माँ बाप भी नहीं रहे परिवार का हिस्सा ,
तो समझिये खत्म ही हो गया किस्सा !
होगा भी क्यों नहीं ,
माँ बाप भी आर्थिक चकाचोंध में ,
बेटों को घर से दूर ठूंस देते हैं
किसी होस्टल में , पढ़ने के बहाने !
वंचित कर देते हैं प्रेम से जाने अनजाने !
"आज की शिक्षा"
हुनर तो सिखाती है ,
पर संस्कार कहाँ दे पाती है !
पढ़ लिख कर बेटा डॉलर की चकाचोंध में,
आस्ट्रेलिया ,यूरोप या अमेरिका बस जाता है !
बाप को कंधा देने भी कहाँ पहुंच पाता है !
बाकी बस जाते हैं बंगलोर,हैदराबाद, मुम्बई ,नोएडा या गुड़गांव में !
फिर लौट कर नहीं आते माँ बाप की छांव में !
पिछले वर्ष का है किस्सा ,
ऐसा ही एक बेटा लेकर हिस्सा
पुस्तैनी घर बेचकर ,
माँ के विश्वास को तोड़ गया !
उसको यतीमों की तरह ,
दिल्ली के एयर पोर्ट पर छोड़ गया !
अभी अभी एक नालायक ने माँ से
बात नहीं की ,पूरे एक साल !
आया तो देखा माँ का आठ माह पुराना कंकाल !
माँ से मिलने का तो केवल एक बहाना था !
असली मकसद फ्लैट बेचकर खाना था !
आपसी प्रेम का खत्म होने को है पेटा
लड़ रहे हैं बाप और बेटा
करोड़पति सिंघानियां को लाले पड़ गये हैं खाने के
बेटे ने घर से निकाल दिया ,
चक्कर काट रहा है कोर्ट कचहरी थाने के
ना मुर्गी ना अंडा ना सास ससुर का फंडा
जब पति पत्नी ही नहीं तो परिवार कहाँ से बसते
कॉन्ट्रैक्ट खत्म , चल दिये अपने अपने रास्ते
इस दौरान जो बच्चे हुए ,
पलते हैं यतीमों की तरह
पीते हैं तिरस्कार का जहर !
अर्थ की भागम भाग में मीलों पीछे
छूट गए हैं , रिश्ते नातेदार !
टूट रहे हैं घर परिवार
सूख रहा है प्रेम और प्यार
परिवारों का इस पीढ़ी ने
ऐसा सत्यानाश किया कि ,
आने वाली पीढ़ियां सिर्फ किताबों में पढ़ेंगी !
वन्स अपॉन अ टाइम
देयर वाज लिवींग
जोइंट फैमिली इन इंडिया
दैट इज कॉल्ड परिवार