पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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*हम भूल रहे हैं*

एक राहगीर था । वह शाम के समय भी रास्ते में चलने लगा । अन्धेरी रात थी । पगडण्डिया बहुत ही छोटी थी । वह मार्ग भूल गया । मील डेड मील के बाद चलते हुए वह परेशान होने लगा कि, "अब कहाँ जाऊँ ?, किधर जाऊँ ?, गना जंगल है ।" वह घबड़ा गया । पर बाद में विचार किया कि, "घबड़ाना नहीं है । घबड़ाने से परेशानी और बढ़ जाएगी । मार्ग भूल गया हूँ इसलिए अब आगे बढ़ना उचित नहीं है इसलिए यहीं पर ठहर जाना चाहिए ।" वह वहीं पर ठहर गया । रात्रि के 10-11 बज गये । अचानक बिजली चमकी, क्षणभर को उजाला हुआ । चमकती हुई बिजली में उसे दिख गया कि सामने सड़क है आधा मील की दूरी पर । अब बिजली चमकना बंद हो गया और फिर अन्धेरा हो गया लेकिन उसे रास्ता दिखने पर संतोष हो गया । उसे समझ में आ गया कि इतनी हमारी भूल है और हमें उस रास्ते से जाना है । इतना ज्ञान होते ही उसे बहुत संतोष होता है, धैर्य आ जाता है । फिर उसने विचार किया कि, "6 घण्टे बाद सुबह हो जाएगी उसके बाद यह पगडण्डी उस सड़क से मिलती है उस पर चलकर अपनी मंजिल तक पहुँच जाऊँगा ।" सुबह होते ही वह उस सड़क तक पहुँच जाता है और अपने इष्ट स्थान पर पहुँच जाता है ।

*इसी प्रकार हम और आप चलते रहते हैं, यात्रा कर रहे हैं, परिणाम कर रहे हैं, ज्ञान कर रहे हैं, कल्पना कर रहे हैं । इन कल्पनाओं के चलते हुए हम भूल जाते हैं । उस विषय वासना में भूल गये कि हम अनादिकाल से संसार में परिभ्रमण कर रहे हैं और निरन्तर आकुलतायें को प्राप्त कर रहे हैं । बाह्य पदार्थों में ही होड़ लगाकर उनमें ही विश्राम करते हुए कुछ मालूम हो रहा है कि हम भूल रहे हैं । हम विपरीत मार्ग पर आ गये हैं । हम अपनी भूल को न बढ़ावें इसके लिये हमें विचार करना चाहिए कि यह बाह्य पदार्थ विषम वन है, यहाँ भूल बहुत है अगर इसमें भटक गये तो भूल बढ़ती ही जाएगी । आगे नहीं जाना है क्योंकि रास्ता खराब है वहाँ पर चलने से मात्र परेशानी और आकुलता ही मिलेगी । रास्ता तो एकाकी का है जहाँ पर एकाकी का अनुभव किया और समझा अपनी स्वतंत्रता की बात कि वह कैसा है ?, आनन्द स्वरूप है, वही परमपद है और वही चलने योग्य है । बस एक क्षण के लिए वह झलक दिख गया तो समझो मार्ग मिल गया । हमें उस रास्ते पर चलना है जहाँ पर आत्मा का अनुभव होने का मार्ग मिलता है । उस मार्ग पर पहुँचकर उस पर चलने से ही मोक्ष रूपी मंजिल तक पहुँच जाएँगे ।*

पुस्तक का नाम - दृष्टान्त प्रकाश, शान्ति की खोज ।
संकलनकर्ता - जगनमल सेठी ।