पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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सफर ट्रेन का
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जब ट्रेन किसी
बड़े स्टेशन
पर रुकती है तो

बहुत से यात्री
ट्रेन में चढते है
और
उतरते है ।

सभी को बैठने के
लिए और सामान
रखने के लिए
जगह की जरुरत
होती है ।

जिस कारण
कई बार पहले बैठे
हुए और नये
यात्रियों में
टकराव होना एक
स्वभाविक क्रिया है ।

लेकिन

जब ट्रेन चल
पडती है तो सभी
यात्रियों को
जहां कहीं भी जैसी
भी जगह मिली ।
सब बैठ जाते है ।

गाड़ी के चलते ही
धीरे-धीरे सब शान्त
हो जाता है
और
सभी आपस में
सब कुछ भूलकर
मिलजुलकर बैठ जाते है ।

जिस कारण
आगे का सफर
सुखद हो जाता है ।

इसी प्रकार

जीवन के सफर में
भी
जब पूरा परिवार
फल फूल जाता है तो
परिवार में
बच्चों की शादी
होने लगती है और

परिवार रुपी ट्रेन में
नये यात्री चढ़ने
लगते है ।

नये यात्रियों को
अपने और अपने
सामान रखने के लिए
जगह की जरुरत पड़ती है ।

जिस कारण
कई बार पहले से
पहले से बैठे
हुए सीनियर्स से
टकराओ हो जाना
एक स्वभाविक क्रिया है ।

लेकिन धीरे-धीरे
जब सबको
बैठने की जगह
मिल जाती है तो
सबको पिछले टकराओ
को भूलकर
आगे का सफर
आनंद पूर्वक मिलजुलकर
बिताना चाहिए ।

लेकिन
हम ट्रेन के सफर से
शिक्षा
नही लेते है । और
आगे के सफर में
सारी जिन्दगी मुंह फुलाए
रहते है ।

यह कहां तक
उचित है कि हम
ट्रेन के सफर में तो
फटाफट भूल जाते है
लेकिन
निजी जीवन में
उसका अनुसरण क्यों
नही करते है ।

और

खुद ही अपने
जीवन के सफर
का आनंद समाप्त
कर लेते है ।

हमें अपने निजी
जीवन में
इस सिद्धांत को लागू
करना चाहिए ।
जिस कारण जीवन
का सफर भी
ट्रेन के सफर की तरह
आनंद लायक हो सके ।

क्योंकि

सफर वही होता है
अगर चार व्यक्ति एक साथ
सफर करते है तो
सफर छोटा हो जाता है
लेकिन
अगर सफर अकेले करें
तो
सफर लम्बा हो जाता है ।
जब कि सफर उतना
ही होता है ।
संकलन
अनिल जैन "राजधानी"
श्रुत संवर्धक