उठो साहस करो आओ सितारों को चकित कर दो
जिगर की आग से गहरे अंधेरे में चमक भर दो
कंटीले राह से ज़ख़्मी क़दम में हौसला भर कर
फरेबी रास्ते पर लाल रंगोली नयी रच दो।
ज्योत बनकर प्रकाशित हो चाह यह लौ की होती है
हरेक आंगन में रौशन हो चाह यह मन में होती है
मगर तूफान में दीपक बने रहना हिमाक़त है
धधकती आग बन आकाश तक अपनी छवी रच दो।
तुम्हारी ज़िन्दगी फूलो की इक बगिया नहीं तो क्या
तुम्हारे वास्ते खुशबू भरी क्यारी नहीं तो क्या
जो कांटो का बिछौना वक्त ने तुमको नज़र की है
उन्ही शूलों से एक रक्षा कवच अपने लिये गढ़ लो।
सितारे गर्दिशों में डूब जाने दो भला ग़म क्या
धुंध के बादलों से राह छिप जाये भला ग़म क्या
वक्त की सिल ने तुमको तराशा है तसल्ली से
बनो आकाश का हीरा नू़र से रौशनी कर दो।
बता दो आग हो ललकार देगा जो फ़ना होगा
समंदर हो जो आँसू मान लेगा तो ज़फा होगा
जिन्होंने धूल जाना है तुम्हे क़दमो में माना है
बवंडर बन उन्हें अपनी नयी पहचान बतला दो।