पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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मैं शिक्षक हुँ मगर शर्मिन्दा हुँ,
मेरी जमात के ऐसे दागियों से,
जो ज्ञान नही,नफ़रत बाँटते हैं,
मैं सोचता हुँ कि..
काश तुम मुझसे पढ़ती,
मैं तुम्हे एक विध्यार्थी के रूप में देखता,
जो जात,धर्म के भेद से नही,
हाथ में किताब और क़लम से
अपनी पहचान बनाता है,
जो नींव है वर्तमान की,
भविष्य का हिंदुस्तान बनाता है,
जिसकी प्रतिभा को दरकार नही,
ऊँच नीच रंग भेद के सबूत की,
जिसकी पोशाक की आभा में,
मर जाती है कालिमा छुआछूत की,
मैं तुम्हें संविधान की प्रस्तावना पढ़ाता,
समानता का मौलिक अधिकार समझाता,
बख़ूबी समझाता तुम्हें
ज्ञानार्थ प्रवेश,सेवार्थ प्रस्थान का महात्म्य,
और तुम जान पाती कि...
सभी शिक्षक ऐसे नही होते,
काश तुम्हें मुक्त कर पाता,
शिक्षकों के प्रति तुम्हारे मन में
उपजी इस विचित्र मनोस्थिति से,
मैं सोचता हुँ कि...
काश तुम मुझसे पढ़ती......! -Shekhar (स्वरचित )