पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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कंपकपाती ठंड मे गली मे एक दस से बारह साल की लडकी गुलदस्ते बेच रही थी ...
कुछ फटे कपडे... नंगे पैर ...
सभी उससे मोलभाव मे बिजी थे तो कुछ उसके खुले जिस्म को देखने मे तभी मोहन जी की नजर उसपर पडी उसकी हालत ओर कुछ लोगों की गंदी नजरें देखकर उनहोने लडकी को बुलाया-बिटिया जरा सुनो कहकर तुरंत घर के अंदर से अपनी बेटी जोकि तकरीबन उसी लडकी के बराबर थी की एक जैकेट ओर एक जोडी चप्पल लेकर आये ओर बडे प्यार से बोले-इसे पहन लो बहुत सर्दी है कहकर जैसे ही वापस चलने को मुडे लडकी ने उनका हाथ पकड़कर बोला -बाबूजी आप भगवान हो ....
ये शब्द सुनते ही मोहन जी ने कानों को हाथ लगाकर कहा -ना बेटी ना ....
मगर तुमने ऐसा कयो कहा ...
लडकी बोली-वो मां कहती थी भगवान जो भी मांगो वो देर से मगर जरूर देता हे मैने भी दो दिन पहले कपडे जूते मांगे थे देखिए आज मिल गये
वो पेट भरने को तो रोज गुलदस्ते बेचकर भर लेती हूं मगर फटे कपडे ओर नंगे पैर ..
बाबूजी तब आप जरूर भगवान के दोस्त होगे...
मोहन जी हंसते हुए-अब ऐसा कयो ....
लडकी - वो मां कहती थी जिसकी मदद को भगवान खुद नही आते वहां अपने दोस्तों को भेज देते है आजतक लोग सिर्फ मेरे खुले शरीर को देखकर...
बाबूजी आप उस शरीर को ढकनेवाले पहले है जरूर आप भगवान के दोस्त होगे ...
मोहन जी-बहुत बडी बातें करती है तेरे मां बाप कहा है लडकी -वो पिछली सर्दियों मे बाहर सडको पर सोते एक गाड़ी वाला कुचल गया ...
तबसे बस पेट भरने को ...अच्छा बाबूजी आप गुलदस्ते नही लेगे ...
मोहनजी -हां.हां जरूर एक दे देती जा कितने के हुए ,लडकी -भगवान के दोस्त से कैसे पैसे...
कहकर गुलदस्ता थमा चली गई मोहनजी सोच रहे थे आखिर कौन सम्पन्न है ...अमीर पैसों से ...
या गरीब दिल से .......