बेटिया चावल उछाल बिना पलटे विदा हो जाती है
छोड़ जाती है बुक शेल्फ मे
कवर पर अपना नाम लिखी किताबें
दिवार पर टंगी खुबसूरत आइल पेंटिंग के एक कोने पर लिखा अपना नाम खामोशी से नर्म एहसासो की निशिनिया
बेटिया चावल उछाल बिना पलटे विदा हो जाती है
रसोई मे नए फैशन की क्रकारी खरीद
अपने पंसद की सलीके से बैठक सजा
अलमारियों मे आउट डेटेड ड्रेस छोड़ तमाम नयी खरीदारी सूटकेस मे ले मन आँगन की तुलसी मे दबा जाती है
बेटिया चावल उछाल बिना पलटे विदा हो जाती है
सुने सुने कमरों मे उनका स्पर्श
पुजा घर की रंगोली मे उंगलियों की महक
बिरहन दिवारों पर बचपन की निशानियां
घर आँगन पनिली आँखो मे भर
महावर लगे पैरों से दहलीज़ लांग जाती है
बेटिया चावल उछाल बिना पलटे विदा हो जाती है
एल्बम मे अपनी मुस्कुराती तस्वीरे
कुछ धुल लगे मैडल और कप
आँगन मे की क्यारियां उसकी निशानी
गुड़ियों को पहनाकर एक साड़ी पुरानी
उदास खिलौने आले में औंधे मुह लुढ़के
घर भर मे वीरानी घोल जाती है
बेटिया चावल उछाल बिना पलटे विदा हो जाती है
टी वी पर शादी की सी डी देखते देखते
पापा हट जाते जब जब विदाई आती है
सारा बचपन अपने तकिये अंदर दबा
जिम्मेदारी की चुनर ओढ़ चली जाती है
बेटिया चावल उछाल बिना पलटे विदा हो जाती है
(''''-सादर नमन है बेटिया को'''''