अब नहीं चाहिए ये संसार
ये संसार है असार
संसार में रहकर जो बांधे हैं कर्म
कर्म को तोड़ने के लिए करेंगे सुक्ष्म से सुक्ष्म शुद्ध धर्म
अब सिर्फ और सिर्फ चिंतन करेंगे स्वयं की आत्मा का
और कभी भी हम उपकार नहीं भूलेंगे
जिसने ये सत्य / उत्तम मार्ग बताया संयम का उस परमात्मा का