पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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देव स्तुति
रोम - रोम से निकले प्रभुवर नाम तुम्हारा ,हॉ नाम तुम्हारा
ऐसी भक्ति करुं प्रभुजी , पॉऊ न जन्म दुबारा
जिन मन्दिर में आया , जिनवर दर्शन पाया
अन्तर्मुख मुद्रा को देखा , आतम दर्शन पाया
जनम - जनम तक न भूलूगां , यह उपकार तुम्हारा
अरहन्तों को जाना , आतम को पहिचाना
द्रव्य और गुण पर्यायों से , जिन सम निज को माना
भेदज्ञान ही महामन्त्र है , मोह तिमिर क्षयकारा
पंच महाव्रत धारुं , समिति गुप्ति अपनाऊँ
निरग्रनथों के पथ पर चलकर ,मोक्ष महल में आऊँ
पुण्य -पाप की बन्ध श्रृंखला नष्ट करुं दुखकारा
देव - शास्त्र - गुरु मेरे , है सच्चे हितकारी
सहज शुद्ध चैतन्यराज की , महीमा जग से न्यारी
भेदज्ञान बिन नहीं मिलेगा, भव का कभी किनारा
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