जब भी आपको जरूरत हो भारतीय चीजें खरीदें, इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी: मुनिश्री
कोरोना से जितनी मृत्यु हुई उनमें सबसे ज्यादा मांसाहारी थे
सागर
जब भी आपको बाजार चीजें लेने जाना पड़े तो भारतीय चीजें ही खरीदें। बाहर की चीजें नहीं इससे बेरोजगारी दूर होगी। अर्थव्यवस्था का रोना नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 मई तक लॉकडाउन का समय बढ़ाया है।वह स्वागत योग्य कदम है। हम सभी को मिलकर के भारत की आंतरिक स्थिति को मजबूत करना चाहिए। हमें अर्थ कि नहीं अनर्थ की चिंता है। इसलिए सभी लोग सोशल डिस्टेंस बनाकर रहेंगे तो सारी चीजों से मुक्ति मिल जाएगी। यह बात भाग्योदय तीर्थ में विराजमान मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज में लाइव प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि भोजन मनुष्य की आवश्यकता है।
संत कहते हैं जितना जरूरी भोजन हो उतना ही करें। स्वाद लोलुपता व्यक्ति को बीमार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती है आप जंक फूड खा रहे हैं शरीर को जो भोजन आवश्यक है वह मिल नहीं पा रहा है। इसके चलते बीमारियां बढ़ रही हैं। जीभ पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा जितना जरूरी भोजन हो उससे ज्यादा नहीं खाना चाहिए।यदि खा लेते हैं तो आपको निश्चित रूप से अस्पताल में पड़े रहना होगा। इसके दुष्परिणाम सामने आते हैं। स्वस्थ रहने के लिए भोजन आवश्यक है लेकिन कुछ भी खाते जाओ यह गलत है। मुनिश्री ने कहा अन्न से बल आता है और बल से जीवन। अन्न को प्राण की संज्ञा दी गई है। भोजन के बिना जीवन टिक नहीं सकता भोजन कीजिए उसके पूर्व कैसा भोजन करें इसका विवेक आवश्यक है। कुछ स्वाद के लिए भोजन करते हैं कुछ जीवन चलाने के लिए भोजन करते हैं। चार बातें है जो हमें याद रखना चाहिए क्यों खाएं? क्यों करते हैं? क्यों कर रहे हैं? और इसमें तीन उद्देश्य देखते हैं स्वाद, स्वास्थ्य और साधना के लिए। मुनिश्री ने कहा पहले एक कहावत थी जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन। स्वाद के कारण अनेक प्रकार का रोग हो जाता है लोग शुगर पीड़ित, ह्रदय रोग, बीपी बढ़ना और अन्य कई बीमारियों के शिकार ज्यादा भोजन करने के कारण हो रहे हैं। जो पीड़ित होते हैं वह अपने बच्चों से कहते हैं देख लो ज्यादा खाने के दुष्परिणाम।
हमारी इकोनॉमी कृषि आधारित है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है
मुनिश्री ने कहा वर्तमान कि त्रासदी ने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को खराब किया है। मेरी धारणा है कि भारत में इससे ज्यादा प्रभावित कुछ नहीं होगा। भारत में जरूरत पड़ने पर लोग त्याग करते हैं। पूरे देश में हर कोई अपनी सामर्थ्य से दे रहे हैं। बाजार में आज भी पैसे का प्रवाह है।भारत के लोग जब कभी बीमार पड़ते हैं तो कुछ दिनों बाद पुनः ठीक हो करके व्यापार में लग जाते हैं और अपनी पुरानी स्थिति में आ जाते हैं। और पहले से ज्यादा मजबूत आधार बना लेते हैं। इस दौर में आपको फिजूलखर्ची से बचना चाहिए इकोनॉमी कृषि पर आधारित है इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।
घरों की छत पर पक्षियों के लिए पानी और दाना रखना चाहिए
मुनिश्री ने कहा कि अपने घरों की छतों पर पक्षियों के लिए पानी रखना चाहिए तथा उन्हें खाने के लिए दाने डालना चाहिए। साथ ही अन्य पशुओं के लिए खाने-पीने की व्यवस्था भी करनी चाहिए। यह मानवीय कृत कार्य है। हम उस संस्कृति के पढ़े-लिखे लोग हैं जहां पहली रोटी गाय के नाम रखी जाती है।
मुनि श्री ने कहा भोजन का अपना स्वाद है वह तो आएगा ही वही तो तुम्हारे शरीर को बीमार कर रहा है आज कोरोना से जितनी अधिक मृत्यु हुई हैं उसमें वह लोग ज्यादा है जिन्होंने जंक फूड और मांसाहार का भोजन किया है। इनमें 25 से 45 वर्ष के लोग भी मौत के गाल में समा गए हैं। इनका इम्यूनिटी सिस्टम ठीक नहीं था। गलत खानपान और अतिरिक्त तनाव शरीर झेल नही पाता है। जो लोग भोजन का दुरुपयोग करते हैं वही बीमारियों का शिकार होते हैं। मुनिश्री ने कहा जो शरीर के अनुकूल हो वही भोजन आपको करना चाहिए।
✍️प्रणाल जैन