Covid19 पर मेरा आकलन है कि हमें इसे स्वीकार
कर इसके साथ जीना सीख लेना होगा।
आप माने या ना माने दुनिया हमेशा के लिए बदल चुकी है, अब जब भी दुनिया नॉर्मल होगी वो एक नया नॉर्मल होगा। अगले 2 साल कम से कम एकदम सामान्य जिंदगी की अपेक्षा करना मुश्किल है। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनेटाइजर और बार-बार हाथ धोना, ये जिंदगी के नए हिस्से होंगे।
कुछ लोग अब कभी ऑफिस नहीं जाएंगे, बच्चों की होम स्कूलिंग के बारे में बहुत गंभीरता से सोच लिजीएगा, मॉल, मल्टीप्लेक्स और ट्रैवल नहीं कर पाएंगे। रियल एस्टेट टूटेगा, होम स्कूलिंग सामान्य होगा, होम डिलेवरी करने वाली कंपनियों के लिए ये सबसे बढि़या वक्त आएगा। दुनिया भर की कई कंपनियां चीन से निकलेंगी लेकिन भारत को सबसे ज्यादा फायदा होगा ये समय बताएगा।
तो कुल मिलाकर खर्चे पर लगाम लगाएं, नौकरी के बजाय कारोबाारी बनने के बारे में सोचें, शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने पर ध्यान दें, स्वस्थ और प्रसन्न रहें। मिडिल क्लास है तो मदद मांगने में झिझके ना, हम में से कई लोगों की चमकदार शर्ट के नीचे बनियान में छेद है।
बाकी इस लॉकडाउन के बाद, लॉकडाउन 2.0 के बाद क्या कोरोना वायरस बदल जाएगा, ----नहीं----, इससे हमेंं सिर्फ कुछ समय की मोहलत मिल रही है। हमें जिंदगियांं बचानी भी है और जिंदगियां दोबारा पटरी पर भी लानी है। अब लॉकडाउन खुलेगा, शर्तों के साथ्, फिर कहीं वायरस का फैलाव होगा, बंद होगा और मुझे लगता है ये चलता रहेगा जब तक कि हमें इससे चमत्कारिक ढंग से मुक्ति ना मिल जाए या फिर इसकी दवाई ना बन जाएं।
हमें काफी कुछ जापान जैसे लड़ना होगा, जहां 5 रिक्टर स्केल का भूकंप आता है, तबाही आती है और वे पूर्ण अनुशासित होकर वापिस संघर्ष करते हैं। हालांकि, जापान जैसे बेहद अनुशासित देश और भारत जैसे घोर अनुशासनहीन देश की आपस में कोई तुलना नहीं हो सकती लेकिन रास्ता यहीं है, आप माने या ना माने।
मुझे लगता है कि आजादी के बाद जो राष्ट्र निर्माण का मौका हमने गंवा दिया था, अब हमें ये दोबारा मिला है। आइए----- चलता है------ वाला एटीट्यूड छोड़कर सावधानी और अनुशासन से जीते हैं।