जिन्दगी एक नदी है,
इसमें सब बदलता रहेगा।
लेकिन वह बदलने वाली
चीज आपकी हो,
वह चेहरा आपका हो,
वह प्रमाणिक हो।
आप हों,
फिर भी बदलते रहें।
बदलना जिन्दगी है।
और इस बदलाहट में
भी अगर उसका स्मरण
रह सके, जो भीतर इस
बदलाहट को भी देखता
रहता है, तो समाधि
उपलब्ध हो जाती है।