भारतीय इतिहास में ऐसा ही एक और उदाहरण मिलता है, जब चित्तौड़ की रानी कर्मावती ने बहादुरशाह से अपनी रक्षा के लिए हुमायूं को राखी बांधी थी। हुमायूं उसकी रक्षा की पूरी कोशिश करता है, लेकिन दुश्मनों के बढ़ते कदम को रोक नहीं पाता और अंतत: रानी कर्मावती जौहर व्रत धारण कर लेती है