आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज का जब पहली बार कोलकाता में प्रवेश हुआ तो एक पत्रकार बराबर उन्हें नजर कर रहा था आचार्य भगवंत कोलकाता में प्रवेश से लेकर पूरे शहर में भ्रमण करते हुए जब बेल गचिया जैन मंदिर पहुंचे तब तक वह उन्हें देखता रहा अगले दिन एक बहुत बड़ी पत्रिका में पहिले पेज पर जो लेख छपा उसकी मुख हेडिंग थी
एक ऐसा अलबेला संत जिसे कोलकाता ने देखा पर उसने कोलकाता को नहीं देखा
जी हां यही विशेषता है जो आचार्य भगवंत को औरों से विशेष बनाती है आचार्य भगवंत अपनी इर्या पदमें इतने मग्न थे कि उन्होंने एक बार भी नजर उठाकर *कोलकाता के सौन्दर्य* को निहारने की कोशिश नहीं की क्योंकि जरा सी चूक उनके इर्या पद में दोष लगा सकती थी।