पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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मैंने सुना है, दिल्ली के एक राजनेता मरे। मरने के पहले--बड़े राजनेता थे, तो बड़ी दूर तक उनकी पहुंच थी--मरने के पहले आंखें बंद किए पड़े थे, देवदूत आ गए और कहा कि मृत्यु करीब है। राजनेता ने कहा, इतनी तो कृपा करो...कहां मुझे जाना है; जाने के पहले मैं स्वर्ग और नर्क दोनों देख लेना चाहता हूं, लेकिन चुनाव कर सकूं। बड़े नेता थे, चुनाव का हक होना ही चाहिए! देवदूतों ने कहा कि ठीक है...रिश्वत तो वहां भी चलती है। यहीं के लोग तो वहां देवदूत हो जाते हैं। यहीं की आदतें वहां पहुंच जाती हैं...नेता ने रिश्वत दी तो देवदूतों ने कहा कि ठीक है, एक झलक दिखा देते हैं।
पहले स्वर्ग ले गए। कुछ उदास-उदास सा मालूम पड़ा स्वर्ग! सुस्त-सुस्त! होगा भी, अगर तुम्हारे साधु-संत स्वर्ग जाते हैं तो होगा ही सुस्त! न वीणा बजेगी, न बांसुरी बजेगी। साधु-संत बैठे हैं अपने-अपने झाड़ के नीचे! धुलें जम गयी होगी, सदियों-सदियों से बैठे अनंत काल से। और साधु-संत नहाते-धोते तो हैं ही नहीं--शरीर का क्या आवेष्टन! दतौन इत्यादि भी नहीं करते जो बहुत पहुंचे संत हैं। जैन मुनि दतौन नहीं करते। क्या दतौन करना! यह तो सांसारिक लोगों के काम हैं। यह तो जैनियों के हाथ में अगर फिल्मों का बनाया आ जाए तो चुंबन तो दूर, दतौन भी बंद हो जाए। क्योंकि दतौन इत्यादि भी आदमी इसलिए करता है कि किसी का चुंबन करे, आलिंगन करे तो बास न आए। इसलिए पश्चिम में, जहां चुंबन खूब चलता है, वहां को सुवासित करने के लिए स्प्रे होते हैं।...बैठे हैं अपनी धूनी रमाए। कुछ नेता को जंचा हनीं! यह तो ऐसे लगा जैसे कुंभ का मेला हो--तरहत्तरह के सर्कस अखाड़े। कहा कि भाई, नर्क और दिखा दो।
नर्क देखा तो चकित हो गया। भरोसा न आया। जिस विश्रामालय में लें जाकर बिठाया गया, वातानुकूलितथा, एयरकंडीशन था; मधुर-मधुर संगीत बज रहा था, सुंदर कैबरे नृत्य चल रहा था। जंच नेता को! दिल्ली का ही तो नेता था आखिर! लगा यह तो बिलकुल अशोका होटल मालूम होता है। अशोका को भी मात किया! और शैतान ने बड़े पुष्पहार पहनाए। और असली फूलों के...खादी के फूल भी नहीं, असली फूल! और ऐसी सुगंध जैसी नेता ने कभी जानी थी। चाय लेंगे, काफी लेंगे, कोकाकोला लेंगे? कहा, कोकाकोला भी मिलता है यहां? दिल्ली में तो मुश्किल हो गया है। कोकाकोला भी ठीक फ्रीज से ठंडा किया हुआ! बहुत आनंदित हुए। कहां, यहीं आना चाहता हूं। देवदूतों से कहा कि बस, मरने के बाद यहां ले आना।
छह घंटे बाद उनकी मौत हुई, देवदूत नर्क पहुंचे। जो आंख खोली तो एकदम घबड़ाहट हो गयी। भयंकर लपटें जल रही थीं, कहाड़े चढ़ाए गए थे, तेल उबल रहा था! लोग तेल में डाले जा रहे थे, सड़ाए जा रहे थे, बड़े कोड़े मारे जा रहे थे! नेता ने कहा, भाई, यह मामला क्या है भूल-चूक हो गयी क्या? थोड़ी देर पहले, छह घंटे पहले मैं आया था...! शैतान खिलखिलाकर हंसने लगा। उसने कहा कि वह हमारा अतिथिगृह है। जो ऐसे ही दर्शक की तरह आते हैं, उनके लिए है। अब यह असली नर्क! वह तो टूरिस्टों के लिए है। टूरिस्टों के लिए तो सब जगह इंतजाम करना पड़ता है। विशेष इंतजाम करना पड़ता है! अच्छी-अच्छी चीजें दिखाते हैं। अब असली मजा लो!
-- दरिया कहै शब्द निरवाना