*" यहां भीड़ को आने देना, पूरे काम को नष्ट कर देगा. "ध्यान" जीवन का सबसे बडा नाजुक कृत्य है,दुनिया की कोई भी सर्जरी इससे ज्यादा नाजुक नहीं है.इस खोज से ज्यादा मूल्यवान और कीमती कुछ भी नहीं है...*
*तो क्या तुम यहाँ पर कोई तमाशा चाहते हो ?*
*यहाँ इन आलसी और निक्कमों की भीड़ क्यों इकठ्ठी करना चाहते हो? उनका हम क्या करेंगे?या तुम यहा कोई कुम्भ मेला लगाना चाहते हो? मुझे लाखों लोगो की भीड़ में कोई रस नहीं है. मुझे हमेशा थोड़े लोगो में ही रुचि है, ज़िनके पास पेंनी बुद्धिमत्ता हो, ज़िनमे परिवर्तन को आत्मसात करने की क्षमता हो,मुझे केवल उन लोगो में रस है ज़िन्होने सत्य का निमत्रण स्वीकार किया हो."*