"बेटा मैं बोल रहा हूँ। "
"हाँ बोलिये पापा। "
"तेरी माँ रोज तुझे याद करती है । कभी समय निकाल कर मिल जाना बेटा ।"
"पापा माँ को अब याद करने के अलावा काम ही क्या है । थोडा व्यस्त रखा करो किसी काम में।"
"बेटा उसकी गठिया बिगड़ती जा रही है। एक टाँग बिलकुल जकड गयी है । उठना बैठना मुश्किल हो गया है।"
"पापा ये तो माँ के परिवार की फेमिली हिस्ट्री है । ये तो भुगतनी पड़ेगी ।"
"बेटा मेरी भी डायबिटीज नियंत्रण से बाहर हो रही है। पाँव का फोड़ा ठीक ही नही हो रहा है, नासूर बनता जा रहा है।"
"पापा मैंने आपके लिये ऑटोमैन लाकर रखा है । इसका सॉफ्टवेयर बहुत अच्छा है । सारे इमोशन डाले हुए हैं। आप इसको ही मेरी जगह बेटा मान लीजिये । आप इसको मेरे नाम से बुलाएंगे तो आपसे बात करेगा। आप के कहे अनुसार काम करेगा। आपको उठाएगा ,बिठाएगा और आप के साथ खेलेगा भी।"
"पर बेटा तेरी माँ नही मान रही। तुमसे मिलने की ज़िद करती है।"
"पापा मुझे यहाँ बहुत काम है छुट्टी मिलना आसान नही है।"
"बेटा वीक एन्ड पर तो दो दिन की छुट्टी आती है, कभी माँ के लिये आजाओ एक बार। तुझसे मिले डेढ़ साल से अधिक समय हो गया है।"
'क्या पापा आप भी .... सात दिन में दो दिन ही तो अपने लिए मिलते हैं, वो भी बर्बाद कर दूँ आपके लिए।"
पापा और माँ की आँखों में आंसू देख ऑटोमैन उनसे लिपट गया। रुमाल निकाल कर पापा , माँ के आंसूं पोंछते हुए बोला "मम्मी पापा मैं हूँ ना "।
ऑटोमैन ने अपने सॉफ्टवेयर इंजीनियर को फ़ोन लगा कर कहा "आपने मुझमें इमोशन तो डाल दिये लेकिन यहाँ की स्थिति देखकर मेरे इमोशन वाले सर्किट में तेजी से करंट प्रवाहित होती है । मुझसे सहन नहीं होता, मुझे लगता है कहीं शार्ट सर्किट न हो जाए । कोई आंसूं वाला सेफ्टी वाल्व मुझे में भी डालो ना प्लीज।"