पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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"प्रेम अगर सड़ जाए तो दुर्गंध उठती है। अपने प्रेम को सड़ने मत देना" "लोग आत्मा परमात्मा स्वर्ग मृत्यु की, बकवास मे लगे है,जीवन कि जीवंतता से चुक रहे है,खाली प्रेम से रिक्त रेगिस्तान मे भटक रहे है।" लोगों के जीवन प्रेम से रिक्त हैं, क्योंकि कोई भी स्वयं पर श्रद्धा नहीं करता है! स्वयं पर श्रद्धा करना शुरू करो -- यह पहला पाठ है जो व्यक्ति को सीखना चाहिए। स्वयं को प्रेम करना शुरू करो!
यदि तुम स्वयं को प्रेम नहीं कर सकते तो भला और कौन करेगा? लेकिन यह भी याद रखो कि यदि तुम सिर्फ स्वयं को ही प्रेम करोगे तो तुम्हारा प्रेम बहुत गरीब होगा। हिलेल ने कहा है,
"यदि तुम ही स्वयं के लिए नहीं हो, तो फिर तुम्हारे लिए कौन होगा?"
और यह भी कहा है, "यदि तुम केवल अपने ही लिए हो तो तुम्हारे जीवन का क्या अर्थ रह जायेगा?" याद रखो: स्वयं को प्रेम करो, क्योंकि यदि तुम स्वयं को प्रेम नहीं करते तो कोई और तुम्हें कभी भी प्रेम नहीं कर पायेगा! जो व्यक्ति स्वयं से घृणा करता हो, उसे भला कैसे प्रेम किया जा सकता है? और इस अभागी पृथ्वी पर लगभग सभी स्वयं को घृणा करते हैं, सभी स्व-निंदा से भरे हैं..... यह सारी पृथ्वी प्रेम की दुर्गंध से भर गई है। क्यों सड़े हुए प्रेम से दुर्गंध उठती है? क्योंकि प्रेम अगर विकसित होता तो सुगंध उठती। जिससे सुगंध उठती है वह अगर सड़ जाए तो दुर्गंध उठती है। अपने प्रेम को सड़ने मत देना, उसे कहीं रुकने मत देना। उसकी कोई सीमा मत मानना, उसकी कोई परिभाषा मत बनाना। मत कहना कि मैं हिंदू को ही प्रेम करूंगा, क्योंकि मैं हिंदू हूं। मत कहना कि मैं भारतीय को ही प्रेम करूंगा, क्योंकि मैं भारतीय हूं। कोई सीमा मत बनाना–न देश की, न जाति की, न वर्ण की। तुम्हारा प्रेम अबाध बहता रहे। प्रेम तुम्हारा धर्म हो। फिर देर नहीं होगी कि तुम जल्दी ही प्रार्थना से परिचित हो जाओगे। यह प्रेम के ही वृक्ष की अंतिम शाखाओं पर प्रार्थना का फूल खिलता है।

ओशो,
काहे होत अधीर प्रवचन-10.