पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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"जब देखो काम ही काम बहुत हो गया, आज मै कुछ नही करने वाली, फेसबुक , वाट्सअप पर भी चल रहा है आजकल कि औरतो के लिये रविवार नही आता आज तो मै अपना रविवार मना कर ही रहूंगी" हर रविवार को नारी मुक्ति पर मेरा भाषण चालू हो जाता था।
आखिर आज मुझे मेरा रविवार मनाने का मौका दे दिया गया।
" ठीक है मां आज आप आराम करिये खाना मै बनाऊंगीं " बेटी ने कहा.....!
बेटा बोला....!
" हां मम्मी मै पापा के साथ मिलकर नाश्ता बनाऊंगां।" संगीता खुशी से फूलकर कुप्पा हो गई जाकर बालकनी मे अखबार लेकर बैठ गई।" वाह क्या बात है "आज वो भी उस गुनगुनी धूप का भरपूर आनन्द लेगी, जिस पर सुबह सात बजे से दस बजे तक केवल साहब का हक था।
आधे घन्टे तक जब कोई हल चल न दिखी तो बेटी को आवाज दी "बस मम्मा ब्रेकफास्ट तैयार है "पति देव हाथ मे ट्रे लिये आ रहे थे।सैन्डविच और चाय का आनन्द लिया गया। दोनो बच्चे व पतिदेव काम मे लग गये तो टीवी चला लिया मगर थोड़ी देर देखने के बाद ऊबने लगी तो सोचा कमरे का समान ही सही से संगवा ले। हाथ मे चादर तह करने को उठाई थी कि प्यारे पतिदेव ने हाथ से ले ली और बोले आज कुछ नही सिर्फ आराम।
दोपहर का खाना बड़ी मेहनत से बनाया गया था मन खुश हो गया था।
शाम होते होते बच्चे और पति जी थककर चूर हो गये थे। संगीता ने कहा "चलो अब बहुत हुआ शाम को मै खाना बना लूंगी।"
"नही शाम का खाना बाजार से मंगा लेते है " पति देव फरमाये, मना करने पर भी खाना बजार से आया खैर रात होते होते दोनो बच्चे खाना खा कर सोने चले गये। पतिदेव बहुत थके लग रहे थे "आप आराम करिए.. ताले मै लगा लूगीं " पर तुम तो आज छुटटी पर हो।" आखं भर आई संगीता की पति का हाथ थाम कर कहा " बंधन मे जो सुख है वो मुक्ति मे कँहा " मै तो एक दिन मे ही बोर हो गई ...........।
मुझे नही चाहिए ऐसा रविवार. हरि ऊँ